अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर कटौती: पहली बार 2020 के बाद पावेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर निगाहें

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर कटौती: पहली बार 2020 के बाद पावेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर निगाहें

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर कटौती: नई नीति की दिशा

फेडरल रिजर्व के 17-18 सितंबर को आयोजित हो रही फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (FOMC) की बैठक में संभावित ब्याज दर कटौती को लेकर बाजार में हलचल है। यह दर कटौती 18 सितंबर को दोपहर 2 बजे ET पर घोषित होने की उम्मीद है। चार वर्षों में यह पहली बार होगा जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती कर रहा है, जो मौद्रिक नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।

इस मोड़ पर, फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पावेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस दोपहर 2:30 बजे ET पर आयोजित की जाएगी, जिसे निवेशकों और व्यापारियों द्वारा ध्यानपूर्वक देखा जाएगा। इसमें वे भविष्य की नीतिगत दिशाओं पर मार्गदर्शन देंगे। श्रम बाजार की स्थिति और मुद्रास्फीति दोनों पर अब निवेशकों की गहरी नजर है।

फेड के इस कदम को वॉल स्ट्रीट के लिए सकारात्मक माना जा रहा है। 0.25% की दर कटौती अपेक्षित है, जो हाल में आए मुद्रास्फीति डेटा के बाद की जा रही है। एक बड़ी दर कटौती की संभावनाओं से आर्थिक स्थिति के खराब होने का संकेत मिल सकता है, जिससे बाजार में और ज्यादा असंतुलन पैदा हो सकता है।

दर कटौती और भविष्य की दिशा

दर कटौती और भविष्य की दिशा

पिछले जुलाई 2023 में फेड ने अपनी बेंचमार्क दर को 5.25% से 5.5% तक बढ़ाया था और तब से दरें स्थिर बनी हुई हैं। इसमें भी कहा जा रहा है कि श्रम बाज़ार के डेटा अब मुद्रास्फीति के मुकाबले अधिक महत्वपूर्ण हैं, और अगर श्रम बाज़ार की स्थिति खराब होती है तो और भी आक्रामक दर कटौतियां देखने को मिल सकती हैं।

माइकल ब्राउन, पेपरस्टोन के सीनियर रिसर्च स्ट्रेटेजिस्ट, बताते हैं कि यदि आवश्यकता हो तो फेड की दरें घटाने और क्वांटिटेटिव टाइटनिंग समाप्त करने की क्षमता निवेशकों के लिए भरोसे का स्रोत है। यह 'फेड पुत' की मजबूती को दर्शाता है, जो दर्शाता है कि इक्विटी बाजार की गिरावट अपेक्षाकृत कम होगी।

मार्केट्स अगले एफओएमसी की बैठकों के लिए और भी दर कटौतियों की उम्मीद कर रहे हैं, जिनमें विशेष रूप से 6-7 नवंबर और 17-18 दिसंबर के सत्र शामिल हैं। संभवतः 50 बेसिस पॉइंट्स की दर कटौती भी की जा सकती है।

पावेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस की अहमियत

पावेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस की अहमियत

निवेशक और व्यापारी जेरोम पावेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर गहरी नजर बनाए हुए हैं। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस आगामी दर कटौतियों और भविष्य की मौद्रिक नीतियों के बारे में महत्वपूर्ण संकेत दे सकती है। आमतौर पर, फेड की दर नीति और बयानों का सीधा प्रभाव वित्तीय बाजारों पर पड़ता है।

इस तरह की घोषणाओं के समय, तापसता और अस्थिरता का माहौल बना रहता है, क्योंकि नीतिगत परिवर्तन न केवल अमेरिका बल्कि विश्व भर के बाजारों को प्रभावित करते हैं। पावेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस की टिप्पणियां निवेशकों के आने वाले समय के लिए निर्णय लेने के पैमाने पर भारी पर्दा डाल सकती हैं।

अंतत: फेडरल रिजर्व की यह दर कटौती और इसके पीछे की नीतिगत दिशा अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डाल सकती हैं। निवेशक इस समय की मौद्रिक नीति को दबाव और ध्यान से देख रहे होंगे, जो वित्तीय बाजारों की दिशा को नए सिरे से परिभाषित कर सकती है।

11 टिप्पणि

  • फेडरल रिजर्व की इस संभावित दर कटौती को समझना हमारे लिए आर्थिक स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। इस समय में, नीति निर्माताओं का संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल अमेरिकी बल्कि वैश्विक बाजारों को भी प्रभावित करेगा। यदि फ़ेड उचित गति से नीति बदलती है, तो निवेशकों को अधिक स्पष्टता और भरोसा महसूस होगा। आशा है कि पावेल जी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रस्तुत होंगे।

  • दर कटौती का यह निर्णय केवल आँकड़ों पर आधारित नहीं, बल्कि एक दार्शनिक अवधारणा के रूप में देखना चाहिए क्योंकि यह बाजार की मनोवृत्ति को बदलता है

  • यार फेड की इस कटौती से तो बाजार में नई ऊर्जा आ जायेगी! मैं तो कहूँगी कि अब ट्रेडर्स को पूरी एंगलिंग मिल जाएगी, बट मुज के सीखे हुए कुछों को भी आज़माने का टाइम है। हाँ, थोड़ा सा हाइप है पर थ्रिल तो है! बस देखते रहो, क्या धक्कों का एफ़ेक्ट आएगा।

  • बिलकुल बेकार फैसला है 😂

  • यह दर कटौती कई लोगों को भ्रामक लग सकती है, परंतु हमें यह याद रखना चाहिए कि दीर्घकालिक विकास के लिए आर्थिक नीति में लचीलापन आवश्यक है। फेड की यह चाल संभवतः मौद्रिक स्थिरता को बनाए रखने की दिशा में एक कदम है। हालांकि, आगे की नीतियों में पारदर्शिता का अभाव निवेशकों में अनिश्चितता पैदा कर सकता है। इसलिए, हमें सावधानीपूर्वक निरीक्षण जारी रखना चाहिए।

  • आपका दृष्टिकोण समझ में आता है, पर कुछ लोग इस कटौती को आर्थिक असमानता के बढ़ने का संकेत भी मान रहे हैं। ऐसा भी हो सकता है, इसलिए हमें विभिन्न पहलुओं को देखना ज़रूरी है।

  • देखो भाई, ये सब सैद्धांतिक बात है, असली बात तो ये है कि हमारी इंडियन इकॉनमी को भी फेड की मोशन से फ़ायदा होना चाहिए। अगर फेड असली में रेट कटेगा तो हमें भी अपने कमर्स को एक्स्पोर्ट के लिए और प्रॉमोट करना चाहिए। वरना विदेशी पूँजी हमारे पास से निकल जायेगी।

  • सच्ची बात तो यह है, कि फेड के निर्णय का असर वैश्विक स्तर पर गहरा है; हमें इस पर नज़र रखना चाहिए! यह परिवर्तन हमारे लिये एक चुनौती भी हो सकता है; साथ ही एक अवसर भी।

  • फेड की इस कदम पर नजर रखना ज़रूरी है, क्योंकि यह हमारी स्थानीय निवेश रणनीतियों को पुनः निर्धारित कर सकता है। इस प्रक्रिया में, विभिन्न सेक्टरों के साथ तालमेल बिठाना आवश्यक होगा।

  • आजकल की फेडरल रिजर्व की हर घोषणा के पीछे काली ताक़तें छिपी हुई हैं, यह कोई संज्ञान नहीं। कई गुप्त समूहों का कहना है कि दर कटौती का उद्देश्य केवल अमेरिका के वित्तीय संकट को छुपाना है। ये लोग मानते हैं कि इस कटौती से वैश्विक बाजार को नियंत्रित करने वाले एलीट्स को फायदा होगा। बहुत से दस्तावेज़ों में लिखा है कि यह कदम पहले से ही योजनाबद्ध था, जबकि सार्वजनिक को बताने में देर हुई। पावेल जी की प्रेस कॉन्फ्रेंस भी एक मंच मात्र है, जहाँ से ट्रांसमिशन को मोडिफ़ाई किया जा सकता है। इस प्रकार की नीति को लागू करने के पीछे कई आधी रात के मीटिंग्स होती हैं, जहाँ प्रमुख मन्ट्रीज तय होते हैं। इन मीटिंग्स में शामिल लोग अक्सर सायबर-एजेंट्स और गुप्त सिविल सर्विसेज के आधिकारिक होते हैं। कुछ स्रोतों ने बताया कि इस दर कटौती के साथ-साथ एक विशाल डिजिटल मुद्रा का टेस्ट भी चल रहा है। यह डिजिटल मुद्रा, जिसे 'डिज़ी-फ़ी' कहा जाता है, वैश्विक वित्तीय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने की योजना रखती है। इस योजना के पीछे के बक्से में बड़े बैंकों और तकनीकी दिग्गजों के लिए भारी मुनाफ़ा छुपा है। यही कारण है कि मीडिया अक्सर इस खबर को हल्के में लेता है, जबकि वास्तविक खतरा बहुत गहरा है। कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि हम इस कटौती को अनदेखा करेंगे तो आर्थिक अस्थिरता का दौर शुरू हो सकता है। इस समय में, आम जनता को जागरूक रहने की जरूरत है, नहीं तो वह इस बड़े खेल का नाश्ता बन सकता है। इसलिए, हमें सभी संकेतों को पढ़ना चाहिए, चाहे वह आर्थिक डेटा हो या राजनीतिक बयान। अंततः, फेड की इस कदम पर ध्यान देना केवल बाजार की बात नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की भी बात है। याद रखें, हर बड़े परिवर्तन के पीछे छिपी होती है एक लहर, जो सबको प्रभावित करती है!

  • आपकी बात में कुछ सच्चाई जरूर है, परन्तु यह भी याद रखना चाहिए कि हमारे देश की आर्थिक नीतियों को भी फेड के प्रभाव से बचाना जरूरी है। हमें अपनी मुद्रा को सुदृढ़ करने और विदेशी निर्भरता घटाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। यदि फेड ऐसी नीतियों को बढ़ावा देता रहता है, तो इससे भारत के निर्यात को नुकसान हो सकता है। इसलिए, आत्मनिर्भरता की दिशा में हमें त्वरित नीति परिवर्तन करने चाहिए!

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