लोकप्रिय यूट्यूबर ध्रुव राठी पर झूठी पोस्ट बनाने का आरोप, पुलिस ने दर्ज किया केस

लोकप्रिय यूट्यूबर ध्रुव राठी पर झूठी पोस्ट बनाने का आरोप, पुलिस ने दर्ज किया केस

ध्रुव राठी और फेक पोस्ट

लोकप्रिय यूट्यूबर ध्रुव राठी एक बार फिर विवादों में फंस गए हैं। महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने उनके खिलाफ एक फेक मैसेज पोस्ट करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। यह पोस्ट एक पैरोडी अकाउंट से किया गया था जिसका हैंडल @dhruvrahtee है। इस फेक पोस्ट में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की बेटी, अंजलि बिड़ला के बारे में एक झूठा दावा किया गया कि उन्होंने बिना परीक्षा दिए यूपीएससी क्लियर कर लिया है।

फर्जी अकाउंट और झूठे दावे

ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह अकाउंट एक पैरोडी अकाउंट है, जिसे ध्रुव राठी से कोई संबंध नहीं है। ध्रुव राठी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि यह अकाउंट सच में उसका नहीं है। उन्होंने media house पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने खबर प्रकाशित करने से पहले सत्यापन नहीं किया।

मामला पुलिस तक पहुंचा

ओम बिड़ला के एक रिश्तेदार ने इस मामले को पुलिस के सामने रखा और इसके तहत पुलिस ने ध्रुव राठी के खिलाफ जानकारी की सत्यता की जांच किए बिना फेक न्‍यूज फैलाने के आरोप में मामले दर्ज किए हैं।

आरोप और कानून

आरोप और कानून

पुलिस ने ध्रुव राठी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है जिसमें मानहानि, जानबूझकर अपमान, और शरारत फैलाने वाले बयान देने के आरोप शामिल हैं। इसके साथ ही आईटी एक्ट की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।

हमले के बाद की स्थिति

हालांकि, ध्रुव राठी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस पोस्ट से कोई संबंध नहीं है। लेकिन इसके बावजूद पुलिस मामले की जांच कर रही है।

फर्जी अकाउंट का निर्णय

सोशल मीडिया पर विवाद के बाद, पैरोडी अकाउंट ने सभी पोस्ट और टिप्पणियों को डिलीट कर दिया और अपनी गलती के लिए माफी मांग ली है।

सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का खतरा

सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का खतरा

यह मामला हमें सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के खतरों का एहसास कराता है। फेक न्यूज को फैलाना और उस पर कार्रवाई करना आवश्यक है ताकि जनहित में सही जानकारी पहुंचे। तकनीक के बढ़ते उपयोग के साथ, फेक अकाउंट और फेक न्यूज की समस्या गंभीर होती जा रही है।

लोकप्रियता और जिम्मेदारी

ध्रुव राठी जैसे लोकप्रिय यूट्यूबर पर ऐसी घटनाओं का असर उनके फॉलोवर्स और आम जनता पर पड़ता है। उनके प्रशंसकों को भी इस तरह की घटनाओं को समझाते हुए सतर्क बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी बनती है।

निष्कर्ष

इस पूरे मामले ने यह साबित कर दिया है कि सोशल मीडिया पर किसी भी खबर को सच मानने से पहले सत्यापन करना जरूरी है। किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति के नाम का इस्तेमाल करके झूठी खबरें फैलाने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि ऐसे मामले भविष्य में ना हो सकें।

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