NEET-UG 2024 विवाद: सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई
2024 की NEET-UG परीक्षा को लेकर विवाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होने वाली है। अनेक छात्रों और अभिभावकों की ओर से परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं और पेपर लीक की शिकायतों पर चर्चा की जाएगी। देशभर में 38 याचिकाएँ दाखिल की गई हैं, जिनमें 20 छात्र विशेष रूप से परीक्षा के रद्दीकरण और एक कोर्ट-मॉनिटर्ड CBI जांच की मांग कर रहे हैं।
केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने अपने हलफनामे में परीक्षा रद्द करने का विरोध किया है। उनका कहना है कि इस कदम से उन योग्य उम्मीदवारों की करियर संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा, जिन्होंने परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया है। उनके अनुसार, यह बड़े पैमाने पर जनहित के खिलाफ होगा।
केंद्र सरकार और NTA का पक्ष
NTA और केंद्र सरकार ने अपने जवाब में अदालत को बताया कि परीक्षा में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए पहले से ही एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है। इस समिति का उद्देश्यों मौजूदा परीक्षा प्रणाली में सुधार लाना और भविष्य में इसी प्रकार की घटनाओं को रोकना है।
सरकार का मानना है कि परीक्षा रद्द करने से हजारों छात्रों के भविष्य पर बुरा असर पड़ेगा और यह कदम देश के शिक्षा प्रणाली के हित में नहीं होगा। लिहाजा, सुधारात्मक कदम उठाते हुए, एक संतुलित और वैश्विक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए ताकि शिक्षा प्रणाली में विश्वास को बहाल किया जा सके।
छात्रों का गुस्सा और गतिरोध
दूसरी ओर, छात्रों की स्थिति समझना भी जरूरी है। छात्रों का दावा है कि NEET-UG 2024 की परीक्षा में कई महत्वपूर्ण खामियां थीं, जिनका हल निकालना आवश्यक है। उनके अनुसार, यदि परीक्षा में पेपर लीक हुआ है, तो यह बिना किसी संदेह के यह साबित करता है कि परीक्षा प्रक्रिया में गंभीर खामियाँ हैं।
छात्रों ने सर्वोच्च न्यायालय से न्याय की मांग की है। वे चाहते हैं कि पेपर लीक जैसी घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए और उनकी शिकायतों पर उचित कार्रवाई हो। इसके साथ ही, वे यह भी मांग कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर नियम और प्रक्रियाएँ बनाई जाएँ।
सुनवाई की तारीख और अदालत की तैयारी
इसी विवाद के चलते, यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि अदालत इस मामले को सुनवाई के दौरान गहराई से समझने की कोशिश करेगी और सभी पक्षों की बात सुनेगी।
अदालत के निर्णय से न केवल NEET-UG परीक्षा के भविष्य पर असर पड़ेगा, बल्कि देश के सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली के लिए भी एक महत्वपूर्ण दृष्टांत स्थापित हो सकता है। यह देखने की बात होगी कि अदालत विद्यार्थियों की शिकायते और सरकार के जवाब दोनों को कैसे संतुलित करती है और इसके बाद क्या निर्णय लेती है।
वो अहम सवाल जिनका उत्तर ढूंढेंगा न्यायालय
- क्या परीक्षा में वास्तविक तौर पर पेपर लीक हुआ था?
- क्या उक्त घटनाओं की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पर्याप्त और विश्वसनीय है?
- क्या परीक्षा रद्द करने से छात्रों की करियर संभावनाओं को बुरा असर पहुंचेगा?
- केंद्र और NTA के सुधारात्मक सुझावों को किस हद तक लागू किया जा सकता है?
इन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर अदालत को खोजना होगा। यदि अदालत छात्रों की शिकायतें सही पाती है, तो संभवतः परीक्षा रद्द की जा सकती है और इसके स्थान पर नए सिरे से परीक्षा आयोजित की जाएगी।
हालांकि, यदि अदालत केंद्र और NTA के पक्ष को ज्यादा महत्वपूर्ण मानती है, तो शायद करियर पर पड़ने वाले प्रभाव के मद्देनजर परीक्षा रद्द नहीं की जाएगी। ऐसी स्थिति में सुधारात्मक कदमों को अपनाते हुए भविष्य के लिए नई योजनाएँ और प्रक्रियाएँ तय की जाएंगी।
इस बीच, छात्रों और उनके अभिभावकों में असमंजस और तनाव की स्थिति बनी हुई है। उनके करियर का सवाल है और वे चाहते हैं कि न्याय की जीत हो। इसी के साथ, सर्वोच्च न्यायालय पर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष रूप से इस मुद्दे को सुलझाए और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करे। यह देखना होगा कि न्यायालय किस दिशा में निर्णय लेती है और इससे देश की शिक्षा प्रणाली में क्या बदलाव आते हैं।
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