पेरिस पैरालंपिक्स 2024: छठे दिन दीप्थी जीवनजी ने जीता कांस्य, हाई जंप और भाला फेंक फाइनल का इंतजार

पेरिस पैरालंपिक्स 2024: छठे दिन दीप्थी जीवनजी ने जीता कांस्य, हाई जंप और भाला फेंक फाइनल का इंतजार

पेरिस पैरालंपिक्स 2024: भारतीय एथलीटों का जोरदार प्रदर्शन

पेरिस पैरालंपिक्स 2024 के छठे दिन भारतीय एथलीटों ने मौजूदा प्रतियोगिता में अपनी पूरी मेहनत और तैयारी से एक बार फिर सभी का दिल जीत लिया। सबसे पहले जिक्र करना होगा दीप्थी जीवनजी का, जिन्होंने महिलाओं के 400 मीटर टी20 इवेंट में कांस्य पदक जीता। उनके इस शानदार प्रदर्शन ने भारत की पदक तालिका में एक और कीमती अंक जोड़ दिया।

अवनी लेखरा की चुनौतीपूर्ण दिन

अवनी लेखरा, जिन्होंने टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 दोनों में 10 मीटर राइफल प्रतियोगिता में सोने का पदक जीता था, महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन्स एसएच1 के फाइनल में उतरीं। हालांकि, इस बार कई चुनौतियों का सामना करने के बाद भी वह पदक जीतने में सफल नहीं हो पाईं। यह उनके लिए सीखने का और अपने खेल को सुधारने का एक नया अवसर साबित होगा।

तीरंदाजी में पूजा की मार्गदर्शित प्रतिभा

तीरंदाजी में, पूजा ने महिला व्यक्तिगत रिकर्व ओपन के क्वार्टरफाइनल में कदम रखा। हालांकि, उन्हें चीनी प्रतिद्वंद्वी से कड़ी टक्कर मिली, लेकिन उनके द्वारा प्रदर्शित साहसिकता और दृढ़ निश्चय की प्रशंसा हर ओर हो रही है। पूजा ने यह साबित किया है कि भारतीय खिलाड़ी किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।

हाई जंप टी63 फाइनल में भारतीय एथलीट

एथलेटिक्स में हाई जंप टी63 इवेंट का फाइनल भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस प्रतिस्पर्धा में लिहाज से भारत की इतिहासिक सफलता रही है, जिसमें मारीयप्पन थंगावेलु, शरद कुमार, और शैलेश कुमार मुख्य उपाधिकारियों की तरह मैदान में उतरेंगे। उनकी तैयारियों और हुनर से इस बार भी भारत को मेडल मिलने की प्रबल संभावना है।

भाला फेंक एफ46 फाइनल का मुकाबला

भाला फेंक एफ46 इवेंट में अजीत सिंह, रिंकू और सुंदर सिंह गुर्जर के प्रदर्शन का इंतजार पूरे देश को है। इन तीनों ने अपने अथक प्रयास और समर्पण से भाला फेंक में जो मिसाल कायम की है, उससे सभी को बहुत सी उम्मीदें हैं। अगर ये खिलाड़ी अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर पाते हैं तो फिर से एक नया इतिहास लिखा जा सकता है।

इतिहासिक दिन की यादें

पेरिस पैरालंपिक्स 2024 का पांचवा दिन भारतीय खेलों के इतिहास का सबसे यादगार दिन रहा, जब भारत ने कुल आठ पदक जीते थे। इस दिन ने भारत को ओलंपिक में अपनी सबसे सफल दिन बना दिया। इसमें सुमित अंतिल ने भाला फेंक एफ64 के फाइनल में 70.59 मीटर का खेल रिकॉर्ड बना कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया और नितेश कुमार ने पुरुषों की सिंगल्स एसएल3 श्रेणी में अपनी पहली उपस्थिति में स्वर्ण पदक जीता।

टोक्यो 2020 की पदक तालिका को पीछे छोड़ने का लक्ष्य

भारत की मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए, यह पैरालंपिक्स भारतीय खिलाड़ियों के लिए टोक्यो 2020 में जीते गए 19 पदक के आंकड़े को पार करने में मददगार साबित हो सकता है। इस बार हर एथलीट ने अपनी बेहतरीन तैयारी और दृढ़ निश्चय से पैरालंपिक्स में अपने नाम स्वर्णिम इतिहास बनाने का लक्ष्य रखा है।

20 टिप्पणि

  • दीप्थी जीवनजी ने कांस्य पदक जीता, बहुतेर उत्साह है।

  • ओह माय गॉड, दीप्थी का परफ़ॉर्मेंस देख के दिल धड़कन तेज़ हो गई! 400m में वो जाड़ा जैसे दौड़ी, हर कदम पर शॉक वैभव! वाक़ई में ए थ्रिल थी, जैसे सिनेमा का क्लाइमैक्स।

  • खेल का असली मतलब जीत‑हार नहीं, बल्कि कठिनाइयों से लड़ना और दूसरों को प्रेरित करना है। अवनी की कोशिश भी काबिले‑तारीफ़ है, भले ही मेडल न मिली।

  • क्या आपको पता है कि पारदर्शी जजिंग सिस्टम पर साजिश चल रही है? कई देशों के एजेंसियां दावे करती हैं कि उनके एथलीट को हिट कर दिया गया, जिससे परिणाम झुके।

  • पूजा की दृढ़ता हमें याद दिलाती है कि कठिन प्रतिस्पर्धा में भी आत्मविश्वास बनाए रखना आवश्यक है। वह क्वार्टरफाइनल में अपनी क्षमता प्रदर्शित करके भारतीय तीरंदाजी का मान बढ़ा रही है। इस पहचान को आगे बढ़ाने के लिए हमें निरंतर समर्थन देना चाहिए।
    भविष्य में उनके लिए बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएं और मानसिक कोचिंग उपलब्ध कराना हमारा कर्तव्य है।

  • हाई जंप फाइनल का दांव बड़ा है लेकिन कुछ एथलीट अभी भी बेसिक टेक्निक नहीं समझ पाए

  • अजीत सिंह को तो मेरा 100% सपोर्ट है!! भाला फेंक में उसके हाथ की ताकत देख के मैं दंग रह गया। थोड़िया थ्रिक कर लो, बस फोकस रहना है तो जीत पक्की!

  • भाला फेंक में अजीत के प्रदर्शन को देख के मैं सोचा 🤔 बस औसत ही रहेगा, कोई नई चीज़ नहीं दिखी 😒

  • डॉक्यूमेंट्री जैसा यह दिन था, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि जीत का जश्न सिर्फ़ जीत वालों का नहीं, सभी एथलेटिक प्रयत्नों को सम्मानित करना चाहिए।

  • पैरालंपिक्स में भारत की टीम ने तो पूरी धूम मचा दी।
    कंगाल भी नहीं, सबने अपना बेस्ट दिया।
    कभी‑कभी लगता है कि दर्शक भी खेल देख कर इमोशन में गिर पड़ते हैं।

  • हमारा देश अब दुनिया में अपनी ताकत दिखा रहा है! हर एथलीट अपने देश के लिए जीत की लड़ाई लड़ रहा है, यह गर्व की बात है।

  • सभी एथलीटों को बहुत बधाइयाँ, उनकी मेहनत और समर्पण देखा गया। इस सफलता से आने वाले सालों में भी भारत का मान बढ़ेगा।

  • स्पोर्ट्स में प्रतिस्पर्धा जरूरी है, पर सच्ची जीत तभी होती है जब हम एक-दूसरे की सफलता को सराहें। सभी खिलाड़ी एक परिवार जैसे हैं, इस भावना को बनाये रखना चाहिए।

  • मैं मानती हूँ कि इस इवेंट के पीछे बड़े प्लॉट हैं! कई बार नियम बदलकर कुछ देशों को फायदा पहुँचाया जाता है, इस बात को सबको खुलकर देखना चाहिए!!!

  • भाला फेंक में अजीत, रिंकू और सुंदर सिंह की तैयारी देश में नया उत्साह जगा रही है।
    पहले से ही इनका प्रशिक्षण कठोर रहा है, और अब परिणाम सामने आ रहा है।
    जिन्हें मैदान में देखना भाग्य माना जाता था, अब वे राष्ट्रीय अभिमान बन रहे हैं।
    सपोर्ट सिस्टम में सुधार से खिलाड़ी बेहतर उपकरण पा रहे हैं।
    कोचिंग स्टाफ ने नई तकनीकें अपनाई हैं जिससे फेंक की दूरी बढ़ी है।
    स्थानीय एथलीट्स को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार किया जा रहा है।
    यहाँ तक कि छोटे शहरों से आने वाले प्रतिभागियों को भी अवसर मिल रहा है।
    समाज में खेल को लेकर जागरूकता बढ़ी है, जिससे युवा प्रेरित हो रहे हैं।
    स्कूलों में एथलेटिक्स को प्रमुखता दी जा रही है।
    सरकार ने इनकी प्रोमोशन में कई फायदे प्रदान किए हैं।
    फिर भी हमें अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जैसे कि धन की कमी।
    पर्याप्त वित्तीय सहायता मिलने पर प्रदर्शन में और सुधार होगा।
    अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में नियमित भागीदारी से अनुभव बढ़ेगा।
    ऐसे ही निरंतर प्रयासों से भारत का इतिहास लिखेगा।
    आखिरकार, एकजुट होकर हम सभी इस खेल को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं।
    इसलिए, सभी को मिलकर समर्थन देना चाहिए और भविष्य की जीत के लिए तैयार रहना चाहिए।

  • देखिए, भारत की टाला लाजवाब थ्रिल पैदा कर रही है! हर एथलीट को सही पोषण और टैक्टिक सिखाने से उनके रिकॉर्ड तोड़ेंगे।

  • सबको मिलकर इस सफलता को आगे बढ़ाना है, इसलिए ट्रेनििंग कैंप्स में सभी की भागीदारी जरूरी है।

  • भविष्य उज्ज्वल है! 🌟 हमारे एथलीटों की मेहनत रंग लाएगी और हम सभी को गर्व महसूस होगा।

  • देश के लिए जीतना ही सबसे बड़ी बात है, बाकी सब मायने नहीं रखता।

  • इतिहास वही लिखता है जो जीतता है, लेकिन जीत की परिभाषा हमेशा वही लोगों के हिसाब से बदलती है जो सत्ता में होते हैं।

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