युद्धरा मूवी रिव्यू: सिद्धांत चतुर्वेदी की दमदार अदायगी पर कहानी ने पानी फेरा
हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म 'युद्धरा' ने दर्शकों का दिल जीतने की कोशिश की, लेकिन कमज़ोर कहानी और अनुमानित कथानक के चलते यह अपने मकसद में असफल रही। रवि उद्दावर के निर्देशन में बनी यह फिल्म, जिसमें सिद्धांत चतुर्वेदी, मालविका मोहनन, राघव जुयाल, राम कपूर, और गजराज राव जैसे कलाकारों की टीम है, एक्शन ड्रामा के तौर पर प्रस्तुत की गई है। पर फिल्म में इतना कुछ हो जाने के बावजूद, उसकी सबसे बड़ी कमी उसकी स्टोरीलाइन है।
कहानी और किरदार
फिल्म का मुख्य किरदार 'युद्धरा' है, जो एक ऐसा युवक है जिसने बचपन में ही अपने माता-पिता को एक ड्रग लॉर्ड 'फिरोज़' के हाथों बुरी मौत मरते देखा है। युद्धरा के गुस्से की जड़ें उसकी जन्म से जुड़ी जटिलताओं और माता-पिता की क्रूरतापूर्ण हत्या में निहित हैं। एक पुलिस अधिकारी जो बाद में राजनेता बन जाता है, उसे गोद लेता है। युद्धरा को उसके पिता के सहकर्मी द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है और वह फिरोज़ के ड्रग कार्टेल में घुसपैठ करने की कोशिश करता है।
सिद्धांत चतुर्वेदी ने युद्धरा की भूमिका निभाते हुए अपने किरदार में जान डाल दी है। उनकी एक्शन सिक्वेंस में परफॉर्मेंस वाकई काबिल-ए-तारीफ है। लेकिन फिल्म के अन्य पहलुओं में कमियों की भरमार है। फिल्म में मालविका मोहनन, राघव जुयाल, राम कपूर और गजराज राव विभिन्न सहायक भूमिकाओं में हैं और इन्हीं की वजह से फिल्म में थोड़ा वज़न महसूस होता है।
कहानी की कमजोरियाँ
फिल्म की सबसे बड़ी कमी उसकी अनुमानित कथा है। हर मोड़ पर दर्शक को अंदाजा लग जाता है कि आगे क्या होने वाला है। यह कथानक इस स्तर का होना चाहिए था कि दर्शकों को हर मोड़ पर नया कुछ देखने को मिले, लेकिन दुर्भाग्यवश यहां ऐसा नहीं है।
फिल्म की रफ़्तार भी उत्साहजनक नहीं है। यहां तक कि कुछ महत्वपूर्ण मोड़ जिस तरह से प्रस्तुति किए गए हैं, वे भी काफी सुस्त और कमजोर प्रतीत होते हैं।
एक्शन सीन्स और तकनीकी पहलू
फिल्म के एक्शन सीन्स प्रसिद्ध एक्शन कोरियोग्राफर फेडरिको कुवा द्वारा तैयार किए गए हैं। ये सीन्स स्लीक और रेडी हैं, जिनमें सिद्धांत चतुर्वेदी का प्रदर्शन काफी दमदार है। लेकिन केवल एक्शन सीन्स से ही फिल्म को बचाया नहीं जा सकता है। जब कहानी ही ध्यान खींचने में नाकाम रहती है तो ऐसे में बेहतरीन एक्शन सीन्स भी दर्शकों को संतुष्ट नहीं कर पाते।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी जय ओझा द्वारा की गई है, जो कि काफी प्रभावशाली है। कॉमिक बुक्स और एनीमेशन के तत्वों का सम्मिश्रण इसमें देखा जा सकता है, जो कि वाकई सराहनीय है। लेकिन संगीत के मामले में फिल्म अपेक्षाएं पूरी करने में नाकाम साबित होती है। शंकर एहसान लॉय द्वारा संगीत दिया गया है, लेकिन यह फिल्म को आवश्यक प्रभाव देने में विफल रहता है।
कुल मिलाकर
'युद्धरा' एक औसत दर्जे की एक्शन फिल्म है। इसकी कमजोर कहानी और नीरस कथानक के चलते यह फिल्म दर्शकों के बीच वही जादू बिखेरने में असफल रही, जो कि इसकी स्टारकास्ट और एक्शन सीन्स से उम्मीद की गई थी। हालांकि, सिद्धांत चतुर्वेदी और अन्य सहायक कलाकारों के प्रदर्शन को सराहा जाना चाहिए, लेकिन उनका यह प्रयास फिल्म की overall कमी को छिपाने में नाकाम रहा।
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