वक्फ संशोधन विधेयक 2024: बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के संशोधन स्वीकृत, विपक्ष पराजित

वक्फ संशोधन विधेयक 2024: बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के संशोधन स्वीकृत, विपक्ष पराजित

वक्फ संशोधन विधेयक 2024: एक नई दिशा की ओर

वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार हेतु वक्फ संशोधन विधेयक 2024 एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसे भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया। 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया यह विधेयक वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन और 1923 के मुश्लिम वक्फ अधिनियम को समाप्त करने का प्रयास करता है। इन संपत्तियों की प्रबंधन क्षमता को सुधारने और भ्रष्टाचार को रोकने हेतु यह विधेयक विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

विधेयक के मुख्य संशोधन

विधेयक में ऐसे संशोधन शामिल हैं जो भविष्य में वक्फ संपत्ति के निर्माण पर नए मापदंड लागू करते हैं। उदाहरण के लिए, वक्फ की स्थापना अब केवल उन्हीं व्यक्तियों द्वारा की जा सकती है जो कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन कर चुके हों। इस कदम का उद्देश्य इसे सुनिश्चित करना है कि धर्म के प्रति गहरी निष्ठा वाला व्यक्ति ही इस प्रक्रिया का हिस्सा बने। इसके अलावा, "वक्फ बाई यूज़र" की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है, जिससे इस प्रकार की संपत्ति के दुरुपयोग की संभावना भी कम हो गई है।

वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण की जिम्मेदारी, जो पहले एक सर्वे कमिश्नर के हाथों में थी, को अब कलेक्टरों को सौंप दी गई है। इससे उम्मीद की जा रही है कि प्रशासनिक प्रक्रियाएं और अधिक दक्षता के साथ पूरी की जा सकेंगी और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की निगरानी में यह काम पारदर्शिता के साथ किया जा सकेगा। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की संरचना को व्यापक बनाया गया है, ताकि उनमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।

केन्द्रीय पंजीकरण पोर्टल की स्थापना

विधेयक में एक अन्य महत्वपूर्ण कदम वक्फ संपत्तियों की पंजीकरण प्रक्रिया को केंद्रीकृत करना है, जो अब एक केंद्रीय पोर्टल और डाटाबेस के माध्यम से संलग्न होगा। इस प्रक्रिया के केन्द्रीकरण से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि किसी भी प्रकार की अनियमितताओं की संभावनाएं कम हो जाएंगी। इसके अतिरिक्त, यह प्रक्रिया तेजी से संपन्न होगी, जिससे वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन अधिक संगठित तरीके से किया जा सकेगा।

ट्रिब्यूनल संरचना में भी सुधार किया गया है, जिसमें अब दो सदस्य होंगे और ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी, जिसकी समय सीमा 90 दिनों की होगी। इस परिवर्तन का उद्देश्य कानूनी निर्णयों की पुन: समीक्षा का अवसर देना है जिससे किसी भी तरह की न्यायिक त्रुटि का निवारण किया जा सके।

विपक्ष की प्रतिक्रिया और जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी

विपक्ष की प्रतिक्रिया और जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी

हालांकि विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक की काफी आलोचना की गई, विशेष रूप से वक्फ बोर्डों की संरचना में बदलाव को लेकर, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने इसके पीछे अपने मजबूत तर्कों को प्रस्तुत किया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के समान हैं, जबकि एनडीए ने इसे माफियतंत्र के खिलाफ एक आवश्यक कदम बताया।

विधेयक की जांच और समीक्षा के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया गया, जिसमें 31 सदस्य शामिल हैं। इस समिति का कार्य विधेयक के हर पहलू की गहराई से जांच करना और आवश्यक सुझाव प्रस्तुत करना है। इस समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। इस समिति की विशेष भूमिका के चलते, विधेयक पर विस्तृत चर्चा हुई और अंततः एनडीए के प्रस्तावित संशोधन स्वीकृत हुए।

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का मार्ग प्रशस्त होना न केवल प्रशासनिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इससे उम्मीद की जा रही है कि वक्फ संपत्तियों का समुचित प्रबंधन होगा और उनके लाभार्थियों का कल्याण सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके साथ ही, जहां एक ओर यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार लाएगा, वहीं दूसरी ओर समाज के विभिन्न वर्गों के सहयोग को भी बढ़ावा देगा। इस विधेयक के लागू होने पर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की मौजूदा समस्याओं का समाधान संभव हो सकेगा और एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जा सकेगा।

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