Gita Run: Kurukshetra में अंतर्राष्ट्रीय गीत महोत्सव के दौरान हजारों की भागीदारी

Gita Run: Kurukshetra में अंतर्राष्ट्रीय गीत महोत्सव के दौरान हजारों की भागीदारी

Gita Run का विवरण

28 नवंबर की सुबह 7 बजे, बिंदु भर के लोग ब्रह्म सरोवर की पवित्र किनारे जमा हुए। Gita Run ने न सिर्फ स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया, बल्कि भक्ति भावना को भी ताजा किया। हरियाणा के सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री कृष्णा बेदी ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया और ध्वज फहराते ही धावक दौड़ में घुसे। पुरुषों के लिए 10 किमी और महिलाओं के लिए 5 किमी की अलग-अलग दूरी तय करने की योजना बनी थी, जिससे सभी उम्र और फिटनेस लेवल के लोग शामिल हो सके।

रफ़्तार से दौड़ते हुए भी भागीदारों ने भगवद गीता के श्लोक गाए और कई बार “ध्यान” के क्षण भी लिए। एक तरफ दौड़ते हुए लोग अपने शरीर को तंदुरुस्त कर रहे थे, तो दूसरे तरफ दिल में गीता के संदेश को महसूस कर रहे थे। इस तरह का मिश्रण आज के तेज़ जीवन में बहुत ज़रूरी लगता है।

दौड़ के लिए पंजीकरण सरल था—ऑनलाइन फॉर्म भर कर या स्थानीय युवा क्लबों के माध्यम से किया जा सकता था। भागीदारी में स्कूलों के छात्र, कार्यालय के कर्मचारी, वरिष्ठ नागरिक और फिटनेस के शौकीन सभी शामिल थे। यह विविध सामूहिक भागीदारी दर्शाती है कि गीता के विचार अब भी हर वर्ग में प्रासंगिक हैं।

International Gita Mahotsav के मुख्य आकर्षण

International Gita Mahotsav के मुख्य आकर्षण

Gita Run केवल एक शारीरिक कार्यक्रम नहीं था; यह International Gita Mahotsav के बड़े चित्र का एक हिस्सा था, जो 28 नवंबर से 15 दिसंबर तक चलने वाला 18‑दिन का उत्सव था। इस दौरान ब्रह्म सरोवर के अलावा ज्योतिषर, श्री कृष्ण संग्रहालय और कई अन्य पवित्र स्थल पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल थे:

  • गीता यज्ञ – आग के चारों ओर आध्यात्मिक मंत्रों का जप
  • गीता पाथ – विशेषज्ञों द्वारा गीता के श्लोकों का प्रवचन
  • श्रीमद् भागवत कथा – पौराणिक कहानियों का मंचन
  • International Gita Conference – विद्वानों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
  • महाआर्ति, भजन संध्या और संत सम्मलेन – संगीत, भक्ति और विचारों का संगम

इन कार्यक्रमों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विद्वान, संत, संगीतकार और युवा कलाकार भाग लेकर गीता के ज्ञान को विविध रूप में प्रस्तुत कर रहे थे। विशेष रूप से गीता पाथ ने दर्शकों को गहरी आत्म-चिंतन की ओर प्रेरित किया, जबकि गीता यज्ञ ने आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाया।

ब्रह्म सरोवर की पवित्रता के कारण यह स्थल गीता जयंती के उत्सव के लिए चुना गया। यहाँ कहा जाता है कि इधर-अइधर के ध्वनि-ध्वनि में कुरुक्षेत्र की गाथा गूँजती है, जहाँ भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस ऊर्जा को महसूस करते हुए कई भागीदारों ने दौड़ के बाद भी पूजा-अर्चना की और स्थानिक पंडितों से गीता के मूल संदेश के बारे में चर्चा की।

समुदाय में स्वास्थ्य, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने के इस अभिनव प्रयास ने स्थानीय प्रशासन की प्रशंसा भी जीती। कई लोग कहते हैं कि इस तरह के इवेंट्स भविष्य में भी आयोजित किए जाने चाहिए, क्योंकि ये न सिर्फ शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देते हैं, बल्कि लोगों को अपने अंदर के आध्यात्मिक पहलू से जोड़ते हैं।

जब रेस खत्म हुई, तो उत्सव का माहौल अब भी बना रहा। धावक और दर्शक दोनों ही गीता के श्लोक गाते हुए, ब्रह्म सरोवर के किनारे एक साथ खड़े थे, जो इस बात का प्रतीक था कि शारीरिक और आध्यात्मिक दोन्हों को साथ लेकर चलना अब संभव है।

6 टिप्पणि

  • गिता रन ने स्वास्थ्य और भक्ति को साथ ले जाने का शानदार उदाहरण पेश किया। प्रतियोगियों ने दौड़ते हुए श्लोक भी पढ़े, जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों लाभ मिले। ऐसे इवेंट्स से लोगों में सामुदायिक जुड़ाव भी बढ़ता है। उम्मीद है अगली बार और भी बड़े पैमाने पर इसे आयोजित किया जाएगा।

  • वाह! इस तरह की ऊर्जा के साथ दौड़ना वाकई प्रेरणादायक है 😊। अगली बार मैं भी अपने दोस्तों को लेकर भाग लूँगी!

  • इवेंट तो बधिया था, पर लाइटिंग ठीक नै थी।

  • गिता रन जैसी पहल आज के तेज़-रफ़्तार जीवन में अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह शरीर को तंदुरुस्त रखने के साथ-साथ आत्मा को पोषण देती है। जब धावक हर कदम पर गीता के श्लोक गाते हैं, तो वे अपने भीतर के आध्यात्मिक आश्रय को जागृत कर लेते हैं। यह केवल एक फ़िज़िकल इवेंट नहीं, बल्कि एक आत्मनिरीक्षण का मंच बन जाता है। कई लोग मानते हैं कि शारीरिक फिटनेस और आध्यात्मिक जागरूकता को अलग नहीं किया जा सकता, और यह इवेंट इस बात का प्रमाण है। कार्यक्रम में विभिन्न आयु वर्ग के लोग शामिल हुए, जो सामाजिक समावेशिता को दर्शाता है। वरिष्ठ नागरिकों की उत्सुकता और युवा शक्ति का संगम एक सामंजस्यपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है। ऐसी गतिविधियों से न केवल स्वास्थ्य बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है, जो तनाव भरे जीवन में बेहद महत्वपूर्ण है। गीता के संदेश को दौड़ के साथ जोड़ना एक नवाचारी तरीका है, जिससे लोग सहजता से नैतिक मूल्यों को आत्मसात कर सकते हैं। इस इवेंट ने दर्शाया कि आध्यात्मिकता को आधुनिक जीवनशैली में भी आसानी से समाहित किया जा सकता है। ब्रह्म सरोवर का पवित्र वातावरण श्रोताओं को और भी अधिक प्रेरित करता है। कई प्रतिभागियों ने दौड़ के बाद पूजा-अर्चना की, जिससे उनकी आस्था और भी गहरी हो गई। इस तरह के मिश्रित कार्यक्रमों से स्थायी सामुदायिक बंधन बनते हैं। भविष्य में ऐसी पहलें और भी अधिक स्थानिक और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होनी चाहिए। अंत में, गीता रन ने यह सिद्ध किया कि शारीरिक और आध्यात्मिक विकास का एक साथ पथ संभव है।

  • बिलकुल सही कहा आपने, गीता रन ने कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया, और यह देखना बहुत प्रेरणादायक था, कि लोग व्यायाम के साथ-साथ आन्तरिक शांति की खोज भी कर रहे हैं, इस तरह के इवेंट से सामाजिक एकता में भी वृद्धि होती है, और यह सभी आयु वर्ग के लोगों को एक साथ लाता है।

  • सभी की राय को सम्मान देते हुए, यह कहना उचित रहेगा कि ऐसी सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संबंधी पहलें हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। मैं आशा करता हूँ कि आगे भी इस तरह के इवेंट्स आयोजित होते रहें।

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