नॉर्थर्न आर्क कैपिटल के शेयर्स का शेयर बाजार में धमाकेदार स्वागत
सितंबर 24 को नॉर्थर्न आर्क कैपिटल के शेयर्स का शेयर बाजार में भव्य प्रारंभ हुआ, जब बीएसई पर यह 351 रुपये पर सूचीबद्ध हुए। यह 263 रुपये प्रति शेयर के आईपीओ मूल्य के मुकाबले 33.5% की बढ़त दर्शाता है। हालांकि, यह ग्रे मार्केट के 50% प्रीमियम के अनुमान से कम पाया गया।
इस सार्वजनिक पेशकश का कुल मूल्य 777 करोड़ रुपये है, जिसमें 500 करोड़ रुपये की इक्विटी शेयर्स का ताजा इश्यू और 277 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर्स का बिक्री प्रस्ताव (OFS) शामिल है। शेयरधारकों ने यह बिक्री प्रस्ताव उच्च मूल्यबैंड में की थी।
निवेशकों की जबरदस्त दिलचस्पी
आईपीओ को निवेशकों से भारी प्रतिक्रिया मिली और इसे 110.71 गुना ज्यादा सब्सक्राइब किया गया। इसमें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने 240.79 गुना, नॉन-इंस्टीट्यूशनल निवेशकों ने 142.28 गुना और रिटेल व्यक्तिगत निवेशकों (RIIs) ने 30.74 गुना सब्सक्रिप्शन किया। इससे स्पष्ट होता है कि निवेशकों में इस कंपनी के प्रति उत्साह बहुत अधिक था।
आरबीआई से पंजीकृत महत्वपूर्ण एनबीएफसी
नॉर्थर्न आर्क कैपिटल भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के साथ पंजीकृत एक सिस्टमेटिकली इम्पॉर्टेंट नॉन-डिपॉज़िट टेकिंग नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) है। यह कंपनी वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में पिछले एक दशक से सक्रिय है और इसे भारत की प्रमुख एनबीएफसी कहा जा सकता है, जो विविधता पूर्ण व्यापार मॉडल के तहत विभिन्न क्षेत्रों, उत्पादों, भौगोलिक क्षेत्रों और उधारकर्ता सेगमेंट्स में कार्यरत है।
कंपनी का मुख्य उद्देश्य अंडरसर्व्ड हाउसहोल्ड्स और व्यवसायों को क्रेडिट उपलब्ध कराना है, चाहे वह सीधे हो या ओरिजिनेटर्स के साथ साझेदारी के माध्यम से।

एंकर निवेशकों से शुरूआती समर्थन
इससे पहले, इस आईपीओ ने एंकर निवेशकों से 229 करोड़ रुपये का संग्रह किया। एंकर निवेशकों की सशक्त भागीदारी ने संकेत दिया कि कंपनी में बड़े और प्रतिष्ठित निवेशकों की दिलचस्पी रही है, जो उसके भविष्य की संभावनाओं को लेकर आशावादी हैं।
इस जोरदार आगाज से कंपनी ने एक प्रमुख संदेश दिया है कि स्थिरता और समावेशन की ओर उसका सफर जारी रहेगा। साथ ही, निवेशकों की प्रतिक्रिया ने भी सिद्ध कर दिया कि देश में ऐसे संगठनों के प्रति अभी भी विश्वसनीयता और भरोसा बरकरार है।
समग्रता में देखा जाए तो नॉर्थर्न आर्क कैपिटल का आईपीओ और उसके बाद शेयर बाजार में धमाकेदार सूचीबद्धता ने यह जाहिर कर दिया कि कंपनी में निवेशकों का भरोसा मजबूत है और उसकी वित्तीय समावेशन की यात्रा में निवेशक भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यह अगली अवधि में कंपनी के लिए संभावनाओं से भरे नए दरवाजे खोल सकता है।
17 टिप्पणि
क्या आप जानते हैं कि यह IPO सिर्फ एक बड़े षड्यंत्र की शुरुआत है, जहाँ हाइड्रॉक्सिडेज़ को भी आड़ में छिपा दिया गया है!!!
देश की महानता को फिर से स्थापित करने की बौछार में, यह कंपनी अपने आप को नायाब बताती है; लेकिन जब आप आँकड़ों को गहराई से देखते हैं तो पता चलता है कि यह सिर्फ सतही चमक है। यह IPO हमें दिखाता है कि बड़े पूँजी के लोग कैसे छोटे निवेशकों को आकर्षित करने के लिए भावनात्मक कहानियाँ बुनते हैं। हमें इस बात को समझना चाहिए कि वित्तीय समावेशन का असली मतलब क्या है, न कि सिर्फ बड़ी कंपनियों के नाम की जयकार। इस प्रकार के बड़े प्रोजेक्ट में भागीदारी करना मतलब है अपने पैसे को एक बड़ी झूठ की गाड़ी में डालना। अंत में, अगर आप सच में देशभक्त हैं तो ऐसे दिखावे को नहीं मानना चाहिए।
नॉर्थर्न आर्क कैपिटल का यह कदम भारतीय वित्तीय परिदृश्य में एक रंगीन अध्याय है! 🎭 यह देखना रोचक है कि कैसे एक दशक से चल रही वित्तीय समावेशन की कहानी अब बड़े IPO युग में मोड़ ले रही है। इस प्रक्रिया में संस्थागत निवेशकों की बड़ी भागीदारी यह दर्शाती है कि बाजार में विश्वास मौजूद है, पर साथ ही यह भी संकेत दे सकता है कि छोटे निवेशक किन जोखिमों के बीच हैं। इस पोस्ट में दिखाए गये आँकड़े हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या वास्तव में यह लोकप्रियता निवेशकों के लिए लाभदायक होगी।
धन्यवाद!! आप सही बता रहे हैं, लेकिन इस तरह के आँकड़े कभी‑कभी बाजार की असली स्थिति को छुपाते हैं। चलिए, इस पर और चर्चा करते हैं ;)
वाह! यह सफलता निश्चित ही हमारे देश में वित्तीय समावेशन के नए द्वार खोल सकती है 😊
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में ऐसे कदम ज़रूरी हैं।
यह IPO एक बड़ी धुलाई है, जहाँ वास्तव में छोटे बचतकर्ता को धोखा दिया जाता है।
सरकार ने इस वित्तीय योजना को जनता की भलाई के लिए पेश किया, पर असली मकसद बड़े निवेशकों को फायदा पहुँचाना है।
नॉर्थर्न आर्क कैपिटल का इतिहास दिखाता है कि वह अक्सर जोखिम भरे प्रोजेक्ट्स में फँसता रहा है।
उनके प्रॉस्पेक्टस में कई अनिश्चित आश्वासन दिए गये हैं, जो वास्तविकता से बहुत दूर हैं।
ग्रे मार्केट प्रीमियम की कमी दर्शाती है कि बाजार में लोग पहले से ही सवाल उठाए हुए हैं।
इस विज्ञापन में दिखाए गये आँकड़े अक्सर परिसंपत्ति के वास्तविक मूल्य को नहीं दर्शाते।
जो निवेशक बिना गहराई से विश्लेषण किए चलते हैं, वे अंततः नुकसान में पड़ते हैं।
यहाँ पर ‘क्वालिफ़ाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स’ का अत्यधिक सवर्नेशन्स एक संकेत है।
रिटेल निवेशकों को इतनी ज्यादा सब्सक्रिप्शन के साथ धोखा दिया गया।
अगर आपके पास पर्याप्त वित्तीय ज्ञान नहीं है तो यह प्रोजेक्ट अत्यंत जोखिमपूर्ण है।
यह कंपनी सामाजिक समावेशन की बात करती है, पर असली लाभ वही बड़े बैंकिंग संस्थान को मिलता है।
इस प्रकार के IPO में अक्सर ‘अंडरराइटर’ का दायित्व कम ही समझा जाता है।
सार्वजनिक निवेशकों को स्वतंत्र रूप से खोजना चाहिए कि कौनसी कंपनी वास्तव में सामाजिक बदलाव लाएगी।
इस वित्तीय बाजार में पारदर्शिता की कमी एक बड़ा चिंतन का विषय है।
इसलिए मैं सलाह देता हूँ कि ऐसे हाई‑फ़्लैश IPO से दूरी बनाकर रखें, वरना आप भी इस धोखे का हिस्सा बन जाएंगे।
समझ गया, आप सही कह रहे हैं... थोड़ा‑बहुत विचार कर लेता हूँ।
नॉर्थर्न आर्क कैपिटल का IPO वास्तव में काफी चर्चा का विषय बन गया है। इस प्रक्रिया में संस्थागत निवेशकों का बड़ा हिस्सा दिखाता है कि बाजार में कुछ भरोसा है, पर साथ ही यह भी संकेत देता है कि रिटेल निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। शेयर की कीमतों में ग्रे मार्केट प्रीमियम की कमी एक संकेत हो सकता है कि निवेशकों को उम्मीद से अधिक कीमत नहीं मिल रही है। इसलिए निवेश करने से पहले कंपनी के वित्तीय विवरण और भविष्य की योजनाओं को अच्छी तरह से पढ़ना ज़रूरी है।
जब धन का लालच हुक्मरानी बन जाता है, तो नैतिकता पीछे छूट जाती है।
देखा तो IPO में बिडिंग तो हाई है, लेकिन प्रीमियम कम 😐
चलो, इस अवसर को एक सकारात्मक कदम मानें और देखिए कैसे वित्तीय समावेशन का सपना साकार होता है! 😊
इसे देख कर लगता है कि मार्केट में बहुत hype है, पर असल में क्या फायदा?
सत्रव्यापी वित्तीय संरचनाओं के आलोक में, इस IPO की पृष्ठभूमि में निहित अराजकता और पूँजीवादी आकर्षण का द्वंद्वस्पर्शी विश्लेषण आवश्यक है। इसके आँकड़े मात्र संख्यात्मक मान नहीं, बल्कि एक सामुदायिक परिवर्तन के संभावित संकेतक हैं, जो बाजार के सुदृढ़ीकरण के साथ सामाजिक असमानताओं को भी उजागर कर सकते हैं।
बहुत बढ़िया, इस IPO ने भारतीय बाज़ार में नई ऊर्जा लाई है
वाकई, इस चमकदार बैनर के पीछे छिपी हुई छाया को देखना कठिन नहीं-निवेशकों की आशा को चुराने का एक और बड़ा खेल।
ध्यान रखें कि वित्तीय निर्णय हमेशा दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लिये जाने चाहिए, न कि केवल अल्पकालिक लाभ के लिये।
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