मुद्रास्फीति क्या है और क्यों हर किसी को ध्यान रखना चाहिए
मुद्रास्फीति यानी कीमतों का सामान्य स्तर बढ़ना। जब रोज़मर्रा की चीज़ों — खाना, पेट्रोल, बिजली — की कीमतें बढ़ती हैं तो आपकी कमाई की खरीद शक्ति कम हो जाती है। आप नोटिस करते हैं कि वही पैसे में पहले जितना सामान मिलता था अब कम मिलता है। यही मुद्रास्फीति है और यह सीधे परिवार के बजट पर असर डालती है।
मुद्रास्फीति कैसे मापी जाती है?
सरकार और आर्थिक एजेंसियाँ सामान्य तौर पर दो इंडेक्स देखती हैं: CPI (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) और WPI (व holesale प्राइस इंडेक्स)। CPI घरेलू उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों का स्तर बताता है, जबकि WPI थोक स्तर पर कीमतें दिखाता है। CPI में खाना, परिवहन, स्वास्थ्य जैसे खर्च शामिल होते हैं। जब ये इंडेक्स साल-दर-साल बढ़ते हैं तो मुद्रास्फीति बढ़ी मानी जाती है।
एक और बात: core inflation भी देखी जाती है — इसमें अनियमित चीज़ें जैसे सब्ज़ी-फलों की तेज़ी हटाई जाती हैं ताकि ट्रेंड साफ़ दिखे। मीडिया में जब आप 'CPI YoY' या 'कोर मुद्रास्फीति' सुनते हैं, तो यही संदर्भ होता है।
मुद्रास्फीति के मुख्य कारण
कई कारण होते हैं, पर सबसे आम तीन हैं: मांग में वृद्धि (जब जनता ज्यादा खर्च कर रही हो), आपूर्ति में बाधा (फसल नष्ट हो जाएँ या सप्लाई चैन टूटे) और लागत-प्रेशर (कच्चे तेल की कीमत बढ़े तो वाहनों और उत्पादन की लागत बढ़ती है)। इसके अलावा मुद्रा की मात्रा बढ़ना और अंतरराष्ट्रीय हालात भी असर डालते हैं।
यह जानना ज़रूरी है कि सभी मुद्रास्फीतियाँ एक जैसी नहीं। कभी-कभी सिर्फ खाद्य और ईंधन महंगे होते हैं, तो कभी व्यापक स्तर पर कीमतें बढ़ती हैं। इसलिए नीति बनाते वक्त सरकार और रिज़र्व बैंक अलग-अलग संकेत देखते हैं।
अब सवाल आता है—आप व्यक्तिगत रूप से क्या कर सकते हैं? बड़े कदम नहीं चाहिए; छोटे-छोटे व्यवहार बदलकर आप नुकसान घटा सकते हैं।
सबसे पहले, बजट का हिसाब रखें। महँगी चीज़ों की सूची बनाकर जहां संभव हो वैकल्पिक सस्ती चीज़ें खरीदें। एफडी में सीधे पैसे रखने से पहले रियल रिटर्न पर ध्यान दें — यानी ब्याज दर मुद्रास्फीति से कितनी ऊपर है।
निवेश में ডाइवर्सिफिकेशन करें: इक्विटी SIP लंबी अवधि में मुद्रास्फीति से बेहतर रक्षा देते हैं, गोल्ड और रियल एस्टेट भी हेज का काम कर सकते हैं। शॉर्ट-टर्म जरूरतों के लिए लिक्विड फंड रखें ताकि महँगाई के समय आप मजबूर होकर ज्यादा महंगी चीज़ें न खरीदें।
ख़रीदारी स्मार्ट बनाएं: ऑफ-सीजन में खरीदारी, बड़ी मात्रा में खरीद कर छूट लेना और आवश्यकता के अनुसार ही खर्च बढ़ाना मदद करेगा। पेट्रोल-डीजल और खाद्यद्रव्यों की कीमतों पर खबरें देखते रहें—ये आपकी महीने की खपत को तुरंत प्रभावित करती हैं।
भारत समाचार आहार पर हम मुद्रास्फीति से जुड़ी ताज़ा खबरें, CPI-अपडेट्स और बजट/रिज़र्व बैंक की घोषणाओं का सार सरल भाषा में लाते हैं। अगर आप अपनी बचत और खर्च दोनों को समझदारी से संभालना चाहते हैं तो इन रिपोर्ट्स पर नजर रखें।
मुद्रास्फीति रोज़ाना की जिंदगी में बदलाव लाती है, पर समझ कर और योजना बनाकर आप इससे होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं। छोटे कदम आज लें, बड़ा फर्क कल दिखेगा।
- 在 : Karthik Rajkumar Kannan
- दिनांक : अग॰ 8 2024
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 8 अगस्त, 2024 को अपनी ताजा द्विमासिक बैठक आयोजित की और रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा। वर्तमान आर्थिक हालात और मुद्रास्फीति प्रवृत्तियों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया। आरबीआई ने वित्त वर्ष 25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7.2% लगाया।
ऊर्जा कीमतों में उछाल के बीच यूके में मुद्रास्फीति दर में बढ़ोतरी
- 在 : Karthik Rajkumar Kannan
- दिनांक : अग॰ 3 2024
यूके की मुद्रास्फीति दर में हाल ही में वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण ऊर्जा कीमतों में उछाल है। कार्यालय राष्ट्रीय सांख्यिकी (ONS) के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 2.8% पर पहुंच गया, जो जून में 2.7% था। ऊर्जा कीमतों के साथ-साथ खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है।