नेट प्रॉफिट क्या है और क्यों मायने रखता है?

नेट प्रॉफिट (शुद्ध लाभ) वह रकम है जो किसी बिजनेस के पास सब खर्च काटने के बाद बचती है। सिर्फ सेल देखकर खुश मत होइए — असली सवाल यह है कि सेल के बाद आपकी पॉकेट में कितना पैसा बचता है। यही नेट प्रॉफिट बताता है कि आपका कारोबार असल में मुनाफा कर रहा है या नहीं।

छोटे व्यापारियों के लिए नेट प्रॉफिट जानना जरूरी है क्योंकि इससे निवेश वापसी, टैक्स योजना और विस्तार के फैसले सीधे जुड़े होते हैं। बैंक लोन, निवेशक और खुद आप भी यही देखेंगे कि कारोबार कितनी कारगर तरीके से मुनाफा बना रहा है।

फॉर्मूला और एक आसान उदाहरण

फॉर्मूला सरल है: नेट प्रॉफिट = कुल बिक्री (Revenue) − (COGS + ऑपरेटिंग खर्चे + ब्याज + टैक्स + अन्य खर्चे)। नेट प्रॉफिट मार्जिन = (नेट प्रॉफिट / कुल बिक्री) × 100।

उदाहरण: मान लीजिए आपकी मासिक बिक्री ₹2,00,000 है। COGS ₹80,000, ऑपरेटिंग खर्चे ₹50,000, ब्याज और टैक्स मिलाकर ₹10,000। तो नेट प्रॉफिट = 2,00,000 − (80,000 + 50,000 + 10,000) = ₹60,000। नेट मार्जिन = (60,000 / 2,00,000) × 100 = 30%.

नेट प्रॉफिट बढ़ाने के व्यावहारिक कदम

अब सवाल आता है — नेट प्रॉफिट कैसे बढ़ाएँ? कुछ सीधे और असरदार तरीके:

1) कीमतों को स्मार्ट तरीके से समायोजित करें: छोटे-छोटे बढ़ोतरी से भी मार्जिन सुधर सकता है, पर ग्राहक प्रतिक्रिया देखें।

2) COGS घटाएँ: सप्लायर से बेहतर रेट मांगें, कच्चा माल bulk में लें या सस्ते विकल्प पर negociación करें।

3) ऑपरेटिंग खर्च कम करें: अनावश्यक सब्सक्रिप्शन काटें, बिजली बचत करें, वर्कफ्लो ऑटोमेशन अपनाएँ।

4) इन्वेंटरी और कलेक्शन पर ध्यान दें: फालतू स्टॉक कम रखें और कस्टमर से पेमेंट शीघ्र लें — कैश फ्लो अच्छा रहेगा।

5) टैक्स और ब्याज की योजना बनाएं: टैक्स क्रेडिट और इनसेंटिव जानें; लोन रीफाइनेंसिंग से ब्याज कम हो सकता है।

6) राजस्व बढ़ाने के छोटे उपाय: अपसेलिंग, क्रॉस-सेलिंग और लॉयल्टी ऑफर आज़माएँ।

टेक्नॉलजी से मदद लें — एक अच्छा अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर और महीने के आखिर में प्रॉफिट-लॉस रिपोर्ट देखने की आदत बहुत फर्क डालती है।

जो लोग आम गलतियाँ करते हैं: व्यक्तिगत खर्चों को बिजनेस में मिलाना, एक बार की आय को नियमित मुनाफे समझ लेना, depreciation या एकमुश्त खर्चे नजरअंदाज करना। ये गलतियाँ नेट प्रॉफिट का गलत चित्र दिखाती हैं।

अगर आप छोटे व्यवसाय चला रहे हैं तो हर महीने नेट प्रॉफिट और मार्जिन को ट्रैक करें। छोटे सुधार—जैसे 5% COGS कटौती या 3% कीमत बढ़ोतरी—महीने-दर-महीना बड़ा फर्क दिखाते हैं। सवाल है कि आप अगला कदम क्या उठाएंगे? उस पर फोकस करें और आंकड़े रोज देखें।

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