30 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में भारी बारिश की आशंका है, क्योंकि साइक्लोन मोंथा के बाकी बचे अवशेष अब गंगा के मैदानों की ओर बढ़ रहे हैं। यह तूफान, जिसका नाम थाईलैंड ने रखा था (जिसका अर्थ है ‘सुगंधित फूल’), 28 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश के काकिनाडा के निकट तट पर धमाकेदार लैंडफॉल कर चुका है। अब यह बारिश का खतरा उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और वाराणसी विभागों तक पहुँच गया है। लखनऊ के भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के विशेषज्ञों के अनुसार, यह बारिश सिर्फ एक दिन की नहीं — यह 29 से 31 अक्टूबर तक चलेगी, और कुछ जिलों में तो भारी बारिश की उम्मीद है।
कैसे बदल गया मौसम?
27 अक्टूबर को जब साइक्लोन मोंथा अभी तक एक गहरी अवनमन था, तब उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान असामान्य रूप से ऊँचा था। लेकिन जैसे ही तूफान ने तट पर लैंडफॉल किया, उसके बाद बनी हवाओं ने राज्य के पूर्वी हिस्से में बादलों का घना आवरण बना दिया। ओराय जैसे शहरों में अधिकतम तापमान में 9.8 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई। यह गिरावट अब बरकरार है — और यह सिर्फ ठंडक का मामला नहीं, बल्कि एक बड़े मौसमी बदलाव का संकेत है।
IMD के अनुसार, अगले 24 घंटों में बादलों के कारण तापमान में थोड़ी और गिरावट आएगी, लेकिन फिर 48 घंटों में यह फिर से 4-6 डिग्री बढ़ जाएगा। यह तापमान का उतार-चढ़ाव लोगों के लिए बीमारियों का कारण बन सकता है — खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए।
कौन-से जिले सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?
सबसे ज्यादा चिंता का विषय मिर्जापुर और वाराणसी विभाग हैं। IMD ने 30 अक्टूबर को इन क्षेत्रों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इसके अलावा, बिहार, झारखंड और पश्चिमी मध्य प्रदेश में भी भारी बारिश की संभावना है।
यहाँ तक कि दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी अगले दो दिनों तक बादल रहेंगे और हल्की बौछार हो सकती है। यह तब तक चलेगा जब तक यह तूफान उत्तर-पूर्वी भारत की ओर नहीं बढ़ जाता।
बारिश के साथ आ रही है बाढ़ की धमकी
अगर बारिश लगातार चलती रही, तो गंगा के मैदानों में अचानक बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। IMD ने बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में अचानक बाढ़ और सड़कों के नुकसान की चेतावनी जारी की है।
राज्य सरकारों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। आंध्र प्रदेश में तूफान के आगमन से पहले 50,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया था। अब उत्तर प्रदेश के नदियों के किनारे बसे गाँवों में अस्थायी शिफ्टिंग की तैयारी चल रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार बारिश बहुत अलग तरह से आ रही है। यह सिर्फ बारिश नहीं, बल्कि एक तरह का ‘मौसमी शॉक’ है। जब एक तूफान तट पर लैंडफॉल करता है, तो उसके बाद बनी हवाएँ अक्सर अपने आप में एक नया मौसमी पैटर्न बना देती हैं। इस बार वह पैटर्न उत्तर की ओर बढ़ रहा है — और यह उत्तर प्रदेश के लिए अप्रत्याशित रूप से भारी है।
उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ता खतरा
31 अक्टूबर तक, यह तूफान का अवशेष अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय और सिक्किम तक पहुँच जाएगा। यहाँ भारी से अत्यधिक बारिश की उम्मीद है।
नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में अलग-अलग स्थानों पर भारी बौछार हो सकती है। यह एक ऐसा नमूना है जो पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रहा है — जहाँ एक तटीय तूफान अचानक पूरे देश के मौसम को बदल देता है।
क्या लोगों को क्या करना चाहिए?
बारिश के दौरान नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को अस्थायी शिफ्टिंग के लिए तैयार रहना चाहिए। बारिश के बाद बनी गंदी पानी में बीमारियाँ फैलने का खतरा होता है — खासकर डायरिया और टाइफाइड।
सड़कों पर बारिश के बाद जलभराव के कारण दुर्घटनाएँ हो सकती हैं। लोगों को अपने घरों के आसपास के नालों को साफ रखना चाहिए। बिजली के खंभों के नीचे न रुकें — बारिश में बिजली के तार खतरनाक हो सकते हैं।
इतिहास के संदर्भ में
यह पहला मामला नहीं है। 2020 में साइक्लोन बुराक के बाद भी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश हुई थी। उस बार भी मिर्जापुर और वाराणसी में नदियाँ फाट गई थीं। लेकिन इस बार तूफान का रास्ता और भी अजीब है — यह अरब सागर से शुरू हुआ, गुजरात और मध्य प्रदेश से गुजरा, और अब उत्तर प्रदेश तक पहुँच गया। ऐसा पिछले 20 सालों में कभी नहीं हुआ।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण तूफानों के पैटर्न बदल रहे हैं। अब वे अधिक दूर तक यात्रा करते हैं, और उनके अवशेष अधिक तबाही मचाते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
साइक्लोन मोंथा के अवशेष उत्तर प्रदेश में भारी बारिश क्यों ला रहे हैं?
जब साइक्लोन मोंथा तट पर लैंडफॉल हुआ, तो उसके बाद बनी हवाओं ने अरब सागर से नमी लेकर उत्तर की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। इसके साथ ही एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की ट्रॉफ भी उत्तर प्रदेश के ऊपर बन गई, जिसने बादलों को जमा करने में मदद की। इस दोहरे प्रभाव के कारण मिर्जापुर और वाराणसी जैसे क्षेत्रों में भारी बारिश हो रही है।
बारिश के कारण बाढ़ का खतरा किन जिलों में सबसे ज्यादा है?
बिहार के गया, भोजपुर और बस्ती, झारखंड के धनबाद और जमशेदपुर, और मध्य प्रदेश के भिंड और ग्वालियर जैसे जिलों में नदियों का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। इन क्षेत्रों में पिछले 48 घंटों में बारिश की मात्रा 80-120 मिमी तक पहुँच चुकी है, जो बाढ़ के लिए खतरनाक स्तर है।
तापमान में इतनी तेजी से गिरावट क्यों हो रही है?
साइक्लोन के बाद बने बादलों ने सूरज की किरणों को रोक दिया है। इसके अलावा, उत्तर की ओर बढ़ रही ठंडी हवाएँ भी तापमान को नीचे ला रही हैं। ओराय जैसे शहरों में तापमान 35 डिग्री से घटकर 25 डिग्री हो गया है — यह एक दिन में ऐसा बदलाव है जो अक्सर एक हफ्ते में होता है।
इस बार तूफान का पैटर्न पिछले सालों से कैसे अलग है?
पिछले 20 सालों में अधिकांश साइक्लोन बंगाल की खाड़ी से बनते थे और उत्तर-पूर्वी भारत या बंगाल की ओर जाते थे। लेकिन मोंथा अरब सागर से शुरू हुआ, गुजरात और मध्य प्रदेश से गुजरा, और अब उत्तर प्रदेश तक पहुँचा है। यह जलवायु परिवर्तन के कारण बदले हुए हवाओं के बहाव का संकेत है।
क्या यह बारिश दिल्ली के लिए भी खतरनाक हो सकती है?
हाँ। दिल्ली में अगले दो दिनों में हल्की बौछार और बादल रहने की संभावना है। यह बारिश सीधे खतरनाक नहीं, लेकिन वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के बजाय गंदे पानी के जमाव का कारण बन सकती है — जिससे नल के पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
अगले कितने दिनों तक यह मौसमी असर रहेगा?
31 अक्टूबर के बाद बारिश कम होने लगेगी, लेकिन तापमान में उतार-चढ़ाव अगले 7-10 दिनों तक जारी रहेगा। नवंबर के पहले सप्ताह तक उत्तर प्रदेश में अचानक बारिश और ठंडक का खतरा बना रहेगा। इसलिए लोगों को अभी भी सावधान रहना चाहिए।