वित्तीय जुर्माना तब लगता है जब कोई नियम, भुगतान या रिपोर्ट की समयसीमा सीखकर या अनजाने में टूट जाती है। यह टैक्स, बैंक, बिजली-टेलीफोन बिल, ट्रैफिक चालान या किसी कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का उल्लंघन हो सकता है। जुर्माना कभी-कभी निश्चित राशि होता है और कभी प्रतिशत या उधारी पर ब्याज के रूप में लगता है।
क्या आपने कभी सोचा कि नोटिस मिलने पर सबसे पहले क्या करना चाहिए? घबराने की जरूरत नहीं। नोटिस ध्यान से पढ़ें — कारण, राशि, अंतिम तारीख और अपील का समय वहां लिखा रहता है। इसी जानकारी से अगला कदम तय करें।
यहाँ कुछ सामान्य उदाहरण दिए जा रहे हैं, जिनसे समझना आसान होगा:
गणना आमतौर पर नोटिस में दिखती है: मूल रकम + ब्याज/फीस + किसी अधिभार (late fee)। ध्यान रखें कि सभी मामलों में पोलिसी के तहत छूट या माफ़ी के प्रावधान भी हो सकते हैं।
नोटिस मिलने पर ये कदम तुरंत करें — इससे जुर्माना घट सकता है या मामला सुलझ सकता है:
रोकथाम हमेशा आसान और सस्ती पड़ती है। ई-रिमाइंडर, ऑटो-डेबिट, समय पर फाइलिंग और दस्तावेज़ों की नियमित जाँच अपनाएं। बड़े भुगतानों से पहले टर्म्स पढ़ लें और नोटिस मिलने पर तुरंत जवाब दें।
अगर आपको अभी कोई नोटिस मिला है और समझ नहीं आ रहा, तो सबसे पहले नोटिस की कॉपी सुरक्षित रखें और त्वरित कदम उठाएं — देर करने से जुर्माना बढ़ सकता है। जरूरत पड़े तो विशेषज्ञ से बात करें, छोटे कदम समस्या बड़ी होने से पहले रोक देते हैं।
सेबी ने पूर्व न्यूज़ एंकर और अन्य सात पर 2.6 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक पूर्व न्यूज़ एंकर सहित कई व्यक्तियों पर फ्रंट-रनिंग और 'आज खरीदें-कल बेचें' ट्रेड्स करने के आरोप में जुर्माना लगाया है। प्रवीण पंड्या और अल्पेश वसांजी फुरिया पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अन्य छह लोगों को 10 लाख रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ा है। साथ ही सेबी ने निवेशकों के लिए एक प्रमाणन कार्यक्रम भी शुरू किया है।