वारेन बफेट ने एप्पल के शेयरों में भारी कटौती की
वारेन बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे ने एप्पल के शेयरों में भारी कटौती की है। दूसरी तिमाही की आय रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आयी है कि बर्कशायर ने अपने एप्पल निवेश का लगभग आधा हिस्सा बेच दिया है। इस समय बर्कशायर का एप्पल में निवेश $84.2 बिलियन है, जबकि साल की शुरुआत में यह $174.3 बिलियन था। यह तीसरी बार है कि बर्कशायर ने एप्पल के शेयरों में कटौती की है।
शेयर बाजार पर प्रभाव
इस बड़े बदलाव से शेयर बाजार पर खासा असर हो सकता है। एप्पल बर्कशायर का सबसे बड़ा स्टॉक निवेश है और इसके बाद बैंक ऑफ अमेरिका और अमेरिकन एक्सप्रेस आते हैं। इस कटौती के बावजूद, एप्पल की महत्वता बर्कशायर के लिए बनी रहेगी। इसी साल की वार्षिक शेयरधारकों की बैठक में वारेन बफेट ने कहा था कि एप्पल बर्कशायर का सबसे महत्वपूर्ण कॉमन स्टॉक निवेश बना रहेगा।
एप्पल की वित्तीय स्थिति
पिछले हफ्ते, एप्पल ने अपनी तिमाही बिक्री $86 बिलियन के करीब घोषित की, जो अनुमानों से अधिक थी। इसके बाद से एप्पल के शेयरों में 12% की बढ़ोत्तरी हुई है। एप्पल ने जून में अपने वर्ल्डवाइड डेवेलपर्स कांफ्रेंस में नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुइट की घोषणा की थी, जिससे निवेशकों का ध्यान आकर्षित हुआ है।
वारेन बफेट और उनके उत्तराधिकारी के विचार
वारेन बफेट, जो अब 93 साल के हो चुके हैं, ने संकेत दिया है कि उनके उत्तराधिकारी ग्रेग एबेल भी एप्पल को बर्कशायर का सबसे महत्वपूर्ण निवेश मानेंगे। पहले दिए गए एक बयान में, बफेट ने कहा था, "अगर कुछ बड़ा होता है, तो हम एप्पल और अमेरिकन एक्सप्रेस के शेयरों के बड़े हिस्से के मालिक होंगे।"
हालांकि, इस परिवर्तन से शेयर बाजार में क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। एप्पल हमेशा से बर्कशायर का महत्वपूर्ण निवेश रहा है और इसके भविष्य में भी इसकी अहम भूमिका बनी रहेगी।
आगे की प्रगति क्या दर्शाती है?
वित्तीय विशेषज्ञों की नजर भी इस बड़े बदलाव पर है। बर्कशायर का यह कदम क्या सभी निवेशकों के लिए सुराग होगा? एप्पल की बढ़ती एआई परियोजनाएँ और इसके आने वाले समय में और क्या परिवर्तन करना है, यह देखने वाली बात होगी।
अभी के लिए, यह स्पष्ट है कि एप्पल की स्थिति बर्कशायर के निवेश पोर्टफोलियो में महत्वपूर्ण बनी रहेगी।
10 टिप्पणि
बर्कशायर ने एप्पल के शेयर बेचे? यह बिल्कुल बेजा कदम है, देश के बड़े निवेशकों को बकवास समझ में नहीं आ रहा। हम अक्सर देखते हैं कि बफ़ेट जैसा दिग्गज ऐसे बड़े बदलाव क्यों करता है, शायद वह बज़ार की चाल को देख रहा है।
सही बात है, बफ़ेट ने शेयर बेचे, लेकिन इससे एप्पल की ग्रोथ नहीं रुकेगी, क्योंकि कंपनी की प्रोडक्ट लाइन्स मजबूत हैं, और नई AI पहलें निवेशकों को आकर्षित करती हैं, फिर भी, निवेशकों को थोड़ा चिंताजनक लग सकता है, लेकिन समग्र रूप से बाजार स्थिर रहेगा।
हर निवेश का अपना कारण होता है, और बफ़ेट के फैसले को हम एक बहु‑पहलू दृष्टिकोण से देख सकते हैं। वह अपने पोर्टफोलियो को रिडीऑलाइज़ कर रहे हो सकते हैं, जबकि एप्पल की दीर्घकालिक संभावनाएं अभी भी चमक रही हैं। इस प्रकार, दोनों पक्ष मिलकर एक संतुलित बाजार बनाते हैं।
क्या आप नहीं देखते कि बफ़ेट के इस कदम के पीछे कोई गहरा राज़ छुपा है???! शायद एप्पल की नई AI तकनीक पूरी तरह से नियंत्रित नहीं है, और बिलियन‑डॉलर के निवेश को सुरक्षित रखने के लिए गुप्त समझौतों की जरूरत है!!! यह बात हमें नहीं भूलनी चाहिए।
देश की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए यह जरूरी है कि हमारे बड़ों ने अपने निवेश को घरेलू कंपनियों में रखें, और बफ़ेट का एप्पल से हाथ हटाना एक संकेत है कि विदेशी कंपनियां अब हमारी प्राथमिकता नहीं रही। बफ़ेट ने एप्पल के शेयर आधे बेच कर शायद यह दर्शाया है कि भारत की टेक कंपनियों को अवसर मिला है, और हमें अपना फोकस इन कंपनियों पर लगाना चाहिए। इस कदम से भारतीय निवेशक भावना में जागरूकता बढ़ेगी, और हमारे स्टार्ट‑अप्स को नया भरोसा मिलेगा। बफ़ेट जैसी महान हस्ती को देख कर हम समझते हैं कि कभी‑कभी बड़े निवेशकों को भी अपने पोर्टफोलियो को संतुलित करने की ज़रूरत होती है, लेकिन यह संतुलन हमारे देश के हित में भी हो सकता है। इसलिए, मैं कहूँगा कि यह एक सकारात्मक बदलाव है, जो हमारे आर्थिक लक्ष्य को मजबूत करता है।
बर्कशायर हैथवे का एप्पल में निवेश हमेशा से एक दंतकथा रहा है, और इस बार आधा शेयर बेचने का निर्णय इतिहास में एक नई मोड़ चिह्नित करता है। सबसे पहले, हमें यह समझना चाहिए कि निवेश का अर्थ केवल धन नहीं, बल्कि विश्वास का भी प्रतीक है। बफ़ेट ने पहले भी कहा है कि एप्पल की बुल्ज़ीयन उचित है, और यह कदम शायद उसकी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। दूसरा, एप्पल की नवीनतम AI सुइट ने वैश्विक बाजार में नई ऊर्जा भर दी है, और यह स्पष्ट है कि यह तकनीक निवेशकों को फिर से आकर्षित करेगी। तीसरा, अमेरिकी और भारतीय बाजारों के बीच के संबंधों में इस कदम का बड़ा प्रभाव हो सकता है, जिससे दोनों देशों के आर्थिक सहयोग में नई दिशा मिल सकती है। चौथा, बफ़ेट का यह निर्णय युवाओं को प्रेरित कर सकता है कि वे स्टॉक मार्केट में सक्रिय रहें और भविष्य के टैक्नोलॉजी में निवेश करें। पाँचवा, इस घटना से स्पष्ट है कि शेयर बाजार में कभी‑कभी बड़े नाम भी पुनर्मूल्यांकन करते हैं, और यह पुनर्मूल्यांकन आम जनसेवा के लिए एक चेतावनी है। छठा, एप्पल की बिक्री में 12% की बढ़ोत्तरी दर्शाती है कि उत्पादों की मांग अभी भी प्रचंड है। सातवां, बफ़ेट की उम्र 93 वर्ष है, और उसका अनुभव हमें यह सिखाता है कि कभी भी निवेश के निर्णय में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। आठवां, ग्रेग एबेल जैसे उत्तराधिकारी को यह समझना चाहिए कि एप्पल जैसी कंपनी का महत्व हमेशा बना रहेगा। नौवां, एप्पल का वैश्विक दृष्टिकोण और विविधता इसे एक स्थायी निवेश बनाती है। दसवां, बफ़ेट के इस कदम से यह सीख मिलती है कि पोर्टफोलियो का विविधीकरण हमेशा आवश्यक है। ग्यारहवां, एप्पल के नए AI प्रोजेक्ट्स को देखते हुए, भविष्य में इस कंपनी का मूल्य और भी बढ़ेगा। बारहवां, निवेशकों को यह याद रखना चाहिए कि अल्पकालिक उतार‑चढ़ाव दीर्घकालिक विकास को नहीं रोकते। तेरहवां, बर्कशायर के इस कदम से भारतीय निवेशकों को भी प्रेरणा मिल सकती है कि वे अपने निवेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोचें। चौदहवां, इस बदलाव को धयान में रखते हुए, हम सभी को निरंतर सीखते रहना चाहिए और बाजार की गतिशीलता को समझना चाहिए। पंद्रहवां, अंत में, यह कदम बफ़ेट की वित्तीय समझदारी को दर्शाता है, जिसका सम्मान हमें करना चाहिए। सवेरहवां, इस तरह के निर्णय हमें यह सिखाते हैं कि वित्तीय दुनिया में संतुलन और धैर्य ही सफलता की कुंजी है।
वाह, क्या जानकारी है! बफ़ेट ने एप्पल के शेयर बेच दिये, सच में बहुत इंट्रेस्टिंग है!!! मैं सोच रहा था कि ये बदलाव मार्केट में नई लहर लेके आयेगा। टाइपिंग में थोड़ी गलती हो गयी है, पर बात तो समझ आ रही है। चलो, इस पर आगे चर्चा करेंगे।
यह सुनकर दिल खुश हो गया 😊! एप्पल अभी भी बढ़ रहा है, और बफ़ेट का कदम नई संभावनाओं को खोलता है 🌟। हम सबको आशावाद के साथ आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि भविष्य में कई बेहतरीन प्रोजेक्ट्स आने वाले हैं 🚀।
देश की ताकत को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए।
यदि हम वित्तीय निर्णयों को सिर्फ मुनाफे के लिये ही देखते हैं, तो हम अपने नैतिक मूल्यों को खो देते हैं। बफ़ेट जैसी हस्ती को भी सामाजिक जिम्मेदारी का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो बाजार में अंधेरा छा जाएगा। यह केवल शेयर नहीं, बल्कि मानवता का परीक्षण है।
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