डॉक्टरों के परिवार से निकली एक बेटी, जिसने बैंकिंग में ऊंचा पद संभाला, स्टूडियो में गाने रिकॉर्ड किए और खाली समय में वंचित बच्चों के लिए कार्यक्रम आयोजित किए—एक ही व्यक्ति हैं अमृता फडणवीस। 9 अप्रैल 1979 को नागपुर में जन्मीं अमृता, नेत्ररोग विशेषज्ञ पिता शरद राणे और स्त्रीरोग विशेषज्ञ मां चारुलता राणे की बेटी हैं। स्कूल के दिनों में वे सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, खेल में भी आगे रहीं—सेंट जोसेफ कॉन्वेंट, नागपुर से पढ़ते हुए उन्होंने अंडर-16 स्टेट-लेवल टेनिस खेला। यही अनुशासन और फोकस आगे चलकर उनके करियर की खास पहचान बने।
अमृता ने जी.एस. कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स, नागपुर से बी.कॉम किया और फिर प्रोफेशनल दुनिया के लिए खुद को तैयार करने के मकसद से फाइनेंस में एमबीए किया। टैक्सेशन लॉज़ की पढ़ाई भी उन्होंने इसी दौरान की—क्योंकि फाइनेंस की भाषा में टैक्स, कंप्लायंस और रिस्क समझना उतना ही जरूरी है जितना बैलेंस शीट पढ़ना। यह तैयारी बाद में उनके बैंकिंग करियर में सीधे काम आई।
शुरुआत, पढ़ाई और खेल से बने प्रोफेशनल तेवर
स्कूल के दिनों में कोर्ट पर उनकी गति और धैर्य, दोनों दिखते थे। टेनिस ने उन्हें दो बातें सिखाईं—प्रेशर में शांत रहना और लगातार सुधार करते रहना। बैंकिंग फ्लोर पर वही रवैया दिखाई देता है: नंबर बड़े हों या डेडलाइन टाइट, निर्णय तथ्य देखकर लेना है।
कॉमर्स की पढ़ाई से उन्हें वित्तीय स्टेटमेंट्स समझने की बुनियाद मिली। एमबीए ने स्ट्रैटेजी, रिस्क और प्रोडक्ट—तीनों आयाम जोड़े। टैक्सेशन का ज्ञान जोड़ते ही तस्वीर पूरी हुई—ग्राहकों की जरूरतें, नियम-कायदों की सीमाएं और बैंक के बिजनेस की प्राथमिकताएं—सब एक फ्रेम में आ गए।
घर का माहौल भी सीख से भरा था। डॉक्टर माता-पिता का शेड्यूल मांगलिक था—इमरजेंसी कॉल्स, रोगियों की देखभाल और अनुशासित दिनचर्या। यही अनुशासन अमृता की पढ़ाई और बाद में ऑफिस की दिनचर्या में उतर आया।
5 दिसंबर 2005 को उनकी शादी देवेंद्र फडणवीस से हुई। सार्वजनिक जीवन का दबाव अलग होता है, पर उन्होंने अपनी पेशेवर पहचान को जारी रखा। परिवार, काम और पब्लिक स्पेस के बीच बैलेंस बनाना आसान नहीं होता, मगर उनकी प्राथमिकताएं स्पष्ट रहीं—काम, सीखना और योगदान।
बैंकिंग से संगीत और सामाजिक काम: एक करियर, कई परतें
साल 2003 में उन्होंने एक्सिस बैंक में एक्जीक्यूटिव कैशियर के तौर पर शुरुआत की। बैंकिंग में एंट्री-लेवल पर जो कौशल बनते हैं—कैश हैंडलिंग, प्रोसेस, कस्टमर इंटरफेस—वहीं आगे चलकर सिस्टम की समझ बन जाते हैं। प्रमोशन के साथ उनकी जिम्मेदारियां बढ़ती गईं और वे ट्रांजैक्शन बैंकिंग विभाग में वाइस-प्रेसिडेंट के पद तक पहुंचीं। यह वही इकाई होती है जो बड़े कॉर्पोरेट और संस्थागत ग्राहकों के पेमेंट, कलेक्शन, कैश मैनेजमेंट, सप्लाई-चेन फाइनेंस और ट्रेड फ्लो जैसी सेवाओं की रीढ़ संभालती है। यहां गति और शुद्धता दोनों चाहिए—एक चूक बहु-स्तरीय असर डाल सकती है।
ट्रांजैक्शन बैंकिंग के कामकाज में टेक्नोलॉजी की भूमिका निर्णायक है। रीयल-टाइम पेमेंट्स, ऑटो-रिकन्सिलिएशन, एपीआई इंटीग्रेशन, फ्रॉड मॉनिटरिंग—इन सब पर पकड़ जरूरी है। वरिष्ठ नेतृत्व से उम्मीद होती है कि वे ग्राहकों की जरूरत समझते हुए रिस्क और कंप्लायंस के साथ सही संतुलन बनाएं। अमृता का करियर पाथ इसी प्रोफेशनल मांग को दर्शाता है—लगातार अपस्किलिंग, टीम लीडरशिप और परिणाम।
बैंक के बाहर उनकी दूसरी पहचान संगीत से बनी। शास्त्रीय संगीत की रुचि बचपन से थी, जिसे उन्होंने प्रोफेशनल स्पेस में बदला। प्रकाश झा की फिल्म ‘जय गंगाजल’ के गीत ‘सब धन माटी’ से उन्होंने प्लेबैक डेब्यू किया। इसके बाद अमिताभ बच्चन के साथ टी-सीरीज़ के म्यूजिक वीडियो ‘फिर से’ में नजर आईं, जहां उनकी आवाज़ और स्क्रीन प्रेज़ेंस, दोनों पर चर्चा हुई।
उनके कई गीत सामाजिक संदेश लिए हुए हैं। मुम्बई रिवर एंथम ने शहरी नदियों की दुर्व्यवस्था पर सवाल उठाए। ‘अलग मेरा ये रंग है’ ने एसिड अटैक सर्वाइवर्स की हिम्मत और गरिमा को सामने रखा। कोविड-19 के मुश्किल दिनों में ‘तू मंदिर तू शिवाला’ ने फ्रंटलाइन वर्कर्स के साहस को सलाम किया। मराठी गीत ‘तिला जागू द्या’ में महिलाओं के अधिकार और सम्मान की बात की गई। संगीत यहां महज मनोरंजन नहीं, संवाद का माध्यम बना।
उनकी पहलों की एक झलक:
- प्लेबैक डेब्यू: ‘सब धन माटी’ (फिल्म ‘जय गंगाजल’)
- कोलैबोरेशन: ‘फिर से’ (अमिताभ बच्चन के साथ)
- सामाजिक थीम वाले ट्रैक्स: मुम्बई रिवर एंथम, ‘अलग मेरा ये रंग है’, ‘तू मंदिर तू शिवाला’, ‘तिला जागू द्या’
- खेल से जुड़ाव: टेनिस टूर्नामेंट्स में चीफ पैट्रन के रूप में सहभागिता
सामाजिक काम के मोर्चे पर वे वंचित बच्चों के लिए कैंप, सांस्कृतिक कार्यक्रम और फंड-रेज़र आयोजित करती रही हैं। 2017 में उन्होंने वॉशिंगटन डी.सी. में आयोजित नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया—यह वह मंच है जहां दुनिया भर से नेता, समाजसेवी और पेशेवर लोग नैतिक नेतृत्व और मानवीय मूल्यों पर बातचीत करते हैं। इस उपस्थिति ने उनकी ग्लोबल आउटरीच और नेटवर्किंग को नया आयाम दिया।
पब्लिक फिगर्स की लाइफ में सोशल मीडिया दोधारी तलवार है—सपोर्ट भी, सवाल भी। अमृता इस स्पेस में सक्रिय रहती हैं—परफॉर्मेंस, कैंपेन और पहलों की अपडेट साझा करती हैं। आलोचना का जवाब वे अक्सर काम के जरिये देती हैं—नए प्रोजेक्ट, नई पहल या किसी कारण के लिए फंड जुटाने का ठोस कदम।
एक और दिलचस्प पहलू—उन्होंने शादी के बाद भी प्रोफेशनल करियर जारी रखा। भारत में राजनीतिक परिवारों की महिलाओं के लिए यह विकल्प अब ज्यादा सामान्य हो रहा है, मगर फिर भी आसान नहीं। समय प्रबंधन, सार्वजनिक अपेक्षाएं और परिवार की प्राथमिकताएं—तीन मोर्चों पर रोज परीक्षा होती है। वे इस फ्रेम में अपने कौशल और चुनावों से रास्ता बनाती दिखती हैं।
उनकी कहानी को अलग क्या बनाता है? विविधता। दिन भर कॉर्पोरेट क्लाइंट्स के साथ ट्रांजैक्शन फ्लो, ईओडी कट-ऑफ्स और कंट्रोल्स पर काम करना; शाम को स्टूडियो में रियाज़ और रिकॉर्डिंग; वीकेंड पर किसी सामाजिक पहल के लिए फिल्ड में उतरना—यह संयोजन खुद में मिसाल है।
परिवार की बात करें, तो उनकी और देवेंद्र फडणवीस की एक बेटी है। शहर के कार्यक्रमों में कभी परिवारिक उपस्थिति दिखती है, तो कभी वे अकेले प्रोफेशनल मोर्चे पर नजर आती हैं। यह लचीलापन उस सोच का हिस्सा है जिसमें करियर और परिवार दो विरोधी ध्रुव नहीं, बल्कि साथ-साथ चलने वाले रास्ते हैं।
खेल से जुड़ा उनका योगदान भी जारी है। टेनिस ने उन्हें जो मंच दिया, वे अब उसी खेल के बड़े आयोजनों में चीफ पैट्रन के तौर पर जुड़कर प्रतिभा खोजने और इंफ्रास्ट्रक्चर को सपोर्ट करने का प्रयास करती हैं। खेल आयोजन सिर्फ मेडल की दौड़ नहीं, शहरों के लिए कम्युनिटी बिल्डिंग का मौका भी होते हैं—वॉलंटियरशिप बढ़ती है, स्थानीय कारोबार को सहारा मिलता है और युवाओं को लक्ष्य।
बैंकिंग सेक्टर लगातार बदल रहा है—यूपीआई का उभार, कॉर्पोरेट पेमेंट्स का डिजिटलीकरण, सप्लाई-चेन फाइनेंस की नई जरूरतें, और साइबर-रिस्क की नई चुनौतियां। ऐसे समय में ट्रांजैक्शन बैंकिंग में नेतृत्व का मतलब है—टेक्नोलॉजी में निवेश, ग्राहकों के बिजनेस मॉडल की समझ और रेगुलेटरी अपेक्षाओं के साथ तालमेल। अमृता का करियर ट्रेजेक्टरी दिखाती है कि वे इन तीनों मोर्चों पर सक्रिय रहीं—इसीलिए उनकी भूमिका केवल ऑपरेशनल नहीं, स्ट्रैटेजिक भी है।
संगीत के मोर्चे पर भी वे सहयोग से सीखने को तरजीह देती हैं। बड़े कलाकारों के साथ काम करते हुए वे प्रोडक्शन वैल्यू, विजुअल कहानी और वितरण की रणनीति—इन सब पर ध्यान देती हैं। म्यूजिक वीडियो केवल गाना नहीं होता—यह एक पूरा प्रोजेक्ट होता है, जहां टाइमलाइन, बजट और टीम-सिंक अहम होते हैं। उनके ट्रैक्स में सामाजिक उद्देश्य जोड़कर वे कंटेंट को कारण से जोड़ देती हैं—जिसका असर अक्सर कैंपेन की पहुंच और असर, दोनों बढ़ा देता है।
सामाजिक पहल की साख काम से बनती है। एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए किए गए कार्यक्रमों में फोकस केवल फंडिंग पर नहीं, स्किल डेवलपमेंट और काउंसलिंग पर भी रहा। कोविड-19 के दौर में फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए सम्मान और सपोर्ट जुटाने के प्रयासों ने कम्युनिटी रिस्पांस को मजबूती दी। और शहरी नदियों पर गीतों के जरिये ध्यान खींचकर उन्होंने शहर—समाज—सरकार के बीच बातचीत का पुल बनाया।
नागपुर, पुणे और मुंबई—इन तीन शहरों का त्रिकोण उनकी यात्रा में बार-बार आता है। नागपुर ने बुनियाद रखी, पुणे की पढ़ाई ने प्रोफेशनल धार दी और मुंबई ने करियर और कला, दोनों के लिए मंच दिया। तीनों शहरों का अपना टेंपो, अपनी प्राथमिकताएं हैं—इन्हीं के बीच वह जगह बनती दिखती है जहां एक प्रोफेशनल और एक आर्टिस्ट साथ-साथ आगे बढ़ सकते हैं।
यह प्रोफाइल बताता है कि किसी भी व्यक्ति की पहचान एक लाइन में बंद नहीं होती। अमृता फडणवीस के मामले में यह बात और साफ दिखती है—बैंकिंग, संगीत, खेल और सामाजिक पहल—चारों धागे मिलकर एक ऐसी कहानी बुनते हैं जिसमें मेहनत, तैयारी और उद्देश्य तीनों साफ नजर आते हैं।
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