मध्य प्रदेश में भीषण गर्मी और आंधी-बारिश का दोहरा मौसम, 20 मई तक राहत की संभावना नहीं

मध्य प्रदेश में भीषण गर्मी और आंधी-बारिश का दोहरा मौसम, 20 मई तक राहत की संभावना नहीं

गर्मी और आंधी-बारिश की जबर्दस्त जुगलबंदी

मध्य प्रदेश में इस समय मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल गया है। एक तरफ तेज लू ने लोगों को परेशान कर रखा है, दूसरी ओर कई जगहों पर अचानक तेज आंधी, बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं। राज्य के अलग-अलग जिलों में तापमान 33 डिग्री सेल्सियस से लेकर 44 डिग्री सेल्सियस के बीच झूल रहा है। दोपहर में बाहर निकलना लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है।

मौसम विभाग ने बताया है कि प्रदेश के कई इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश, गरज-चमक और कहीं-कहीं 30 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। कभी-कभी यह रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच रही है, जिससे पेड़ गिरने और बिजली का खतरा बना रहता है। मौसम की ये दोहरी चाल लोगों की परेशानी बढ़ा रही है।

सावधानी जरूरी, राहत की उम्मीद नहीं

सावधानी जरूरी, राहत की उम्मीद नहीं

भीषण गर्मी के इस दौर में न सिर्फ बड़ों बल्कि बच्चों और बुजुर्गों को भी खास ख्याल रखने की जरूरत है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक बाहर निकलते वक्त सिर ढकना और पानी पीते रहना जरूरी है। डॉक्टर सलाह दे रहे हैं कि ज्यादा समय तक धूप में रहने से बचें और हल्का-फुल्का भोजन करें।

मौसम जानकारों के मुताबिक, यह असामान्य मौसम मई के मध्य से शुरू हुआ है और 20 मई तक यही स्थिति बने रहने के आसार हैं। खास तौर पर जबलपुर, भोपाल, इंदौर समेत कई शहरों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस पार पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि जबलपुर में दिन के समय तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है और आसमान में हल्के बादल छाए रह रहे हैं। ऐसे में गर्मी और उमस दोनों का प्रभाव बढ़ जाता है।

भारत मौसम विभाग लगातार अलर्ट जारी कर रहा है। कहीं-कहीं तेज अंधड़, तूफानी हवाओं और बिजली गिरने की चेतावनी दी गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि शहरी इलाकों में सीमेंट-कंक्रीट के कारण गर्मी और बढ़ गई है, वहीं ग्रामीण इलाकों में फसलों को भी नुकसान पहुंचने का अंदेशा है।

  • लोगों को सुबह और शाम की ठंडी हवा में टहलने की सलाह दी जा रही है।
  • धूप में निकलते वक्त छतरी और टोपी का इस्तेमाल करें।
  • भरपूर पानी पीएं और तले-भुने भोजन से बचें।
  • अचानक आंधी-बारिश या बिजली गिरने की स्थिति में खुले में न रहें।

मौसम की इस दोधारी मार ने बिजली की मांग भी बढ़ा दी है। कई जगहों पर लोडशेडिंग की समस्या और बिजली कटौती ने गर्मी को और भी बेहिसाब बना दिया है। लोग परेशान हैं कि एक तरफ तेज धूप-लू तो दूसरी ओर हर रोज कभी न कभी मौसम का पलट जाना, इसके चलते रोजमर्रा की जिंदगी खासा प्रभावित हो रही है। राज्य के किसान भी चिंता में हैं कि कभी आसमान से बरसती आग तो कभी अचानक बारिश खेती के लिए चुनौती बनी हुई है।

5 टिप्पणि

  • गर्मियों में जलयोजन सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है। सुबह जल्दी और शाम को ठंडी हवा में टहलना उचित रहता है। छतरी या टोपी का उपयोग करके धूप से बचना जरूरी है, खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए। पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए, कम से कम दो लीटर रोज़ाना। हल्का भोजन और फ्रूट जूस शरीर को ठंडा रखते हैं, तले‑भुने खाने से बचें। आंधी‑बारिश के समय खुले में न रहें, सुरक्षित स्थान पर शरण लें। बिजली गिरने की संभावना के कारण इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अनप्लग कर देना समझदारी होगी। यदि कोई असहनीय लू या तेज हवाओं का अनुभव करे, तो स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र से परामर्श अवश्य लें।

  • आपकी सलाह अच्छी है, पर अक्सर लोग असली जोखिम को हल्का समझते हैं। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कमी से जलसंकट बढ़ जाता है। ठंडी हवा में टहलना अनिवार्य नहीं, क्योंकि तेज हवाओं से पेड़ गिर सकते हैं। छतरी तो बेहतर है, लेकिन तेज हवा में वह उलट सकती है। सरकार को तुरंत आपातकालीन जल वितरण योजना लागू करनी चाहिए।

  • वो बारिश भी कब तक रुकती है 🌧️

  • भाई, बारिश भी ठंडी हवा ले कर आती है, इसलिए थोड़ा आराम मिल सकता है। लेकिन लू और हाईडेफ़िनिशन धूप से बचना अभी भी ज़रूरी है। धूप के समय बाहर निकलते समय टोपी, सनग्लास और म्यूज़िक नहीं, बल्कि पानी की बोतल साथ रखें। शाम की ठंडी हवा में हल्का व्यायाम शरीर को राहत देगा। अगर आप घर में हैं तो पंखे या एसी की सेटिंग कम रखें, बिजली बचाने के लिए। इस दोहरे मौसम में सबको एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए 😊

  • पहले तो मैं कहना चाहूँगा कि मौसम विभाग का अलर्ट अक्सर लोग अनसुना कर देते हैं, पर असल में इसका असर बहुत गहरा होता है। आजकल की युवा पीढ़ी को पानी पीने की आदत नहीं है, वो सोडा या ठंडा पेय पसंद करती है, जिससे डिहाइड्रेशन तेज़ होता है। इस दोहरी मार में किसानों को फसल नुकसान का बोझ उठाना पड़ता है, और सरकार की ओर से कोई ठोस सहायता नहीं दिख रही। बिजली की कटौती भी रोज़ की बात बन गई है, लोग जनरेटर पर निर्भर हो रहे हैं, जो पर्यावरन को और बिगाड़ता है। आपको बताना चाहूँगा कि लू के कारण सड़कों पर पिच पैसिंग नहीं हो पाती, जिससे ट्रैफ़िक जाम और दुर्घटनाएँ बढ़ती हैं। कई लोग अभी भी मानसून के पहले ही किचन गार्डन में बीज बो रहे हैं, पर अचानक बारिश की तेज़ी फसल को नष्ट कर देती है। इस बीच, मैं देखता हूँ कि कुछ स्थानीय नेता इस मुद्दे को राजनीति बनाकर जनता को डराते हैं, जबकि वास्तव में उनके पास कोई समाधान नहीं है। उन्हें चाहिए कि पानी बचाने के लिये रीजनरैशन टैंक लगवाएँ, पर बजट की कमी के बहाने अक्सर टालमटोल किया जाता है। इसके अलावा, स्कूलों में बच्चों को हाइड्रेशन के महत्व के बारे में शिक्षित नहीं किया जा रहा, जिससे भविष्य में स्वास्थ्य समस्या बढ़ेगी। कुछ शहरों में एयर कंडीशनर के अधिक प्रयोग से बिजली की मांग दोगुनी हो गई, पर लोडसहडिंग की समस्या अभी भी बनी हुई है। आजकल के इस अकाल में हमें सौर ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्रोतों की ओर झुकाव बढ़ाना चाहिए, पर सरकारी नीतियों में बदलाव धीमा है। अंततः, नागरिकों को चाहिए कि वे सामुदायिक स्तर पर जल निकासी और जल संरक्षण के प्रोजेक्ट्स में भाग लें। यदि हम सब मिलकर छोटे‑छोटे कदम उठाएँ, तो इस अजीब मौसम से निकलना आसान हो सकता है। व्यक्तिगत रूप से मैं रोज़ाना कम से कम दो लीटर पानी पीने और शाम को हल्की सैर करने की सलाह देता हूँ। आशा है कि सरकार जल्द ही राहत कार्य तेज़ी से शुरू करेगी और लोगों को स्थायी समाधान प्रदान करेगी।

एक टिप्पणी लिखें