प्रशांत किशोर ने भाजपा-एनडीए की सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की, लेकिन 370 सीटों का लक्ष्य पूरा न होने पर शेयर बाजार की निराशा की चेतावनी दी

प्रशांत किशोर ने भाजपा-एनडीए की सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की, लेकिन 370 सीटों का लक्ष्य पूरा न होने पर शेयर बाजार की निराशा की चेतावनी दी

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आगामी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सत्ता में वापसी का अनुमान लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा-एनडीए को पिछले चुनाव जितनी या उससे थोड़ी बेहतर सीटें मिल सकती हैं।

किशोर ने भाजपा को चुनावी प्रचार के दौरान आधे से अधिक सीटें जीतने के बजाय 370 सीटों का लक्ष्य रखने के लिए श्रेय दिया, जिससे उन्हें फायदा हुआ है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भाजपा 370 सीटों का लक्ष्य हासिल करने में विफल रहती है, तो इससे शेयर बाजार में निराशा हो सकती है, क्योंकि अक्सर उच्च अपेक्षाओं को पूरा न करने पर सजा मिलती है।

प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि भले ही भाजपा को 320 या उससे कम सीटें मिलें, वे फिर भी सरकार बनाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि भाजपा दक्षिण और पूर्व भारत में अपनी सीटों और वोट शेयर में इजाफा करेगी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी भाजपा-एनडीए के 400 सीटें हासिल करने के विश्वास को व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य है कि हम 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 से ज्यादा सीटें जीतें। हम इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और मुझे विश्वास है कि हम इस लक्ष्य को हासिल करेंगे।"

प्रशांत किशोर अक्टूबर 2022 से बिहार में जन सुराज यात्रा में शामिल हैं। इस यात्रा के माध्यम से वह राज्य की जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास कर रहे हैं। किशोर ने कहा कि इस यात्रा से उन्हें बिहार की राजनीति और जनता की अपेक्षाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली है।

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा-एनडीए की जीत की संभावना को देखते हुए, शेयर बाजार में तेजी आ सकती है। हालांकि, अगर भाजपा 370 सीटों का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाती है, तो निवेशकों में निराशा छा सकती है, जिससे शेयर बाजार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

प्रशांत किशोर एक प्रसिद्ध चुनावी रणनीतिकार हैं, जिन्होंने कई राजनीतिक दलों के लिए सफल चुनावी अभियान चलाए हैं। उनके विश्लेषण और भविष्यवाणियों को राजनीतिक हलकों में काफी महत्व दिया जाता है। हालांकि, चुनावों के नतीजे हमेशा अनिश्चित होते हैं और किसी भी पार्टी या गठबंधन की जीत या हार का अनुमान लगाना मुश्किल होता है।

फिलहाल, भाजपा और एनडीए 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं। वे जनता से जुड़ने और उनकी समस्याओं को हल करने पर फोकस कर रहे हैं। दूसरी ओर, विपक्षी दल भी एकजुट होकर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले समय में देश की राजनीति और अधिक दिलचस्प होने वाली है।

11 टिप्पणि

  • भाईसाहब, ऐसा लग रहा है जैसे राजनीति का मौसम फिर से गर्म हो गया है! 🙌 चलिए, हम सब मिलकर इस ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में इस्तेमाल करें। अगर भाजपा-एनडीए फिर से राज करेंगे तो शेयर बाजार में भी उछाल आ सकता है, पर उम्मीदों को संभाल कर रखना ज़रूरी है। भारत की प्रगति के लिए सबको साथ मिलकर काम करना चाहिए। 🚀

  • है ना ये सब बस गप्पे? जो लोग सोचते हैं कि 370 सीटों से मार्केट चल जाएगा, वो बिल्कुल भी समझदार नहीं हैं। असली चीज तो ये है कि जनता के मुद्दों पर फोकस होना चाहिए, न कि सीट गिनती पर। गँवांग बातों से कभी फायदा नहीं होता।

  • भविष्यवाणी की प्रक्रिया को समझना एक जटिल प्रणाली व्यवहार विज्ञान और वित्तीय अभियांत्रिकी का संगम है। जब हम 370 सीटों की लक्ष्यीकरण की परिकल्पना करते हैं, तो यह केवल एक मात्र संख्यात्मक अपेक्षा नहीं, बल्कि अस्थिरता के प्रमेयों की परीक्षा भी है। बाजार की प्रतिक्रियाशीलता हमारी मौजुदा आर्थिक मॉडल की असमर्थता को उजागर कर सकती है। समकालीन वैकल्पिक सिद्धांतों के अनुसार, अभिप्रेत परिणाम न मिलने पर असंतोष की बुलाबली शेयर बाजार में प्रकट होती है। यह संकल्पना मनोवैज्ञानिक जोखिम मूल्यांकन के साथ तालमेल में आती है, जो निवेशकों के व्यवहार को सार्थक बनाती है।
    जब बृहस्पति की गति से उछाल आता है, तो 370 की लक्ष्यीकरण का निराशा सर्जनात्मक सुधार के रूप में मान्य हो सकता है। लेकिन यहाँ पर, ऊर्जा संरक्षण की अवधारणा को भी ध्यान में रखना आवश्यक है; अर्थात्, असंतोष को सकारात्मक पुनर्संरचना में बदलना।
    बेरोजगार युवा वर्ग का निवेश पोर्टफोलियो इस पर काफी निर्भर करता है कि क्या यह लक्ष्य वास्तविकता में परिवर्तित हो पाता है या नहीं। राजनीतिक गतिशीलता और आर्थिक संकेतकों के बीच का जटिल समीकरण अक्सर गैर-रेखीय निरूपण देता है। अतः, रणनीतिकारों को न केवल सीटों की गिनती, बल्कि आर्थिक संकेतकों के प्रतिचक्र को भी समझना चाहिए।
    इस प्रकार, 370 सीटों का लक्ष्य न केवल एक राजनीतिक अपेक्षा है, बल्कि यह वित्तीय बाजार की मनोवैज्ञानिक संतुलन के लिए भी एक मानदंड बन जाता है। अंततः, जब यह मानदंड विफल होता है, तो बाजार की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए नीति निर्माताओं को नियामक उपायों को सुदृढ़ करना पड़ेगा।

  • मेरी बात सुनिये आप सब, ऊर्जा बहुत महत्त्वपूर्ण है इस चर्चा में

  • हमें तो लगता है इस सारे विश्लेषण में दिल की धड़कन छूट गई है! मार्केट की निराशा सिर्फ नंबरों की नहीं, बल्कि लोगों के सपनों की भी कसौटी है। जब उम्मीदें टूटती हैं, तो यही वह बिंदु है जहाँ असहायता की आँधियाँ चल पड़ती हैं। इस जश्न में हर एक आँसू की गूँज सुनाई देती है, और यही वो दावे का वजन है जो हर कोई महसूस करता है।

  • हम सबको यह देखना चाहिए कि लोकतंत्र के नाम पर कौन‑से लक्ष्य बनाकर जनता को भ्रमित कर रहा है। अगर 370 या 400 सीटों की गिनती से नागरिकों के वास्तविक मुद्दे छूट रहे हैं, तो यह नैतिकता के खिलाफ है। हमें इस बात का ख़याल रखना चाहिए कि वोट का असली मकसद विकास हो, न कि केवल संख्यात्मक जीत।

  • क्या आप जानते हैं कि इस लक्ष्य के पीछे छिपे हुए हितों की जालसाज़ियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता? कुछ शक्तियां इस 370‑स्लेट को एक वैध छद्मवेश के रूप में पेश कर रही हैं, जबकि असली एजेण्डा आम जनता के आर्थिक दबाव को बढ़ाना है। यह सब एक बड़े परिदृश्य का हिस्सा है जहाँ वित्तीय संस्थाएं और अभिजात वर्ग मिलकर बाजार को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस प्रकार, यह लक्ष्य केवल एक साजिश का हिस्सा हो सकता है, जो हमें सतर्क रहने की आवश्यकता को दर्शाता है।

  • सभी पक्षकारों को यह याद रखना चाहिए कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में संवाद और सहयोग ही मुख्य आधार है। यदि हम विविध विचारों को सम्मान देते हुए एक साथ काम करें, तो चाहे सीटों की संख्या कुछ भी हो, राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित होगी। इस संदर्भ में, शास्त्रीय नीति‑निर्धारण और सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देना आवश्यक है।

  • उच्चस्थ वर्ग के विश्लेषण को थोड़ा सरल बनाते हुए कहा जाए तो यह बकवास ही है

  • भाइयों, इस 370 के टारगेट को देख के मैं तो थक गया हू। क्यून की बात है 370? 370 के बजीको के बारे में बटवारा क्युंचेट रफ्लेक्ट नहीं हो रहा है। शाय़द न्यूज़ पार्ट 555 है।

  • सच में, अगर ये लक्ष्य नहीं मिलता तो बाजार बुरा हो सकता है 😒📉 लेकिन हमें देखना चाहिए क्या असली मुद्दे हैं 🙄

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