Nirmala Sitharaman – भारत की वित्त मंत्री

जब हम भारत की आर्थिक दिशा देखते हैं, तो सबसे पहले Nirmala Sitharaman, वर्तमान वित्त मंत्री, जो बजट बनाती और वित्तीय नीति निर्धारित करती हैं, also known as श्रीमती सिद्धरमन को याद करते हैं। साथ ही वित्त मंत्री, सरकार का वह विभाग जो राज्य की आय‑व्यय का संतुलन रखता है की भूमिका को समझना जरूरी है। इसी संदर्भ में राष्ट्रीय बजट, वित्तीय वर्ष के लिए सरकार द्वारा तैयार किया गया विस्तृत योजना एक प्रमुख दस्तावेज़ है, और आर्थिक नीति, वित्तीय स्थिरता और विकास को दिशा देने वाले उपायों का समूह इन सबको जोड़ती है। Nirmala Sitharaman इन कनेक्शनों को परिभाषित करती हैं: वह भारत की वित्त मंत्री है, वित्त मंत्री राष्ट्रीय बजट बनाता है, राष्ट्रीय बजट आर्थिक नीति को दिशा देता है, और आर्थिक नीति विदेशी निवेश को आकर्षित करती है।

सिद्धरमन का करियर राजनीति से ही शुरू हुआ, लेकिन आर्थिक मामलों में उनकी पकड़ मजबूत है। उन्होंने 2019 में राजकोषीय नीति सुधार की दिशा में कई कदम उठाए, जैसे जीएसटी के बाद फाइलिंग प्रक्रिया को सरल बनाना और कस्टम्स क्लियरेंस को तेज़ करना। उनका मानना है कि छोटे व्यवसायों को आसान क्रेडिट पहुँचाने से समग्र रोजगार में बढ़ोतरी होगी। इसलिए उन्होंने ‘विनिर्मित भारत’ पहल को बजट में प्रमुखता दी, जिससे निर्माताओं को टैक्स छूट और निर्यात समर्थन मिला। इन परिवर्तनों से पिछले साल औद्योगिक उत्पादन में 6% की वृद्धि दर्ज की गई।

मुख्य उपलब्धियां और भविष्य की दिशा

वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने बजट शीर्षकों को स्पष्ट और लक्ष्य‑उन्मुख बनाया। 2024‑25 के बजट में उन्होंने सामाजिक सुरक्षा को 2.5 ट्रिलियन रुपये तक बढ़ाया, जिससे वृद्धावस्था पेंशन और स्वास्थ्य बीमा स्कीम को मजबूती मिली। साथ ही, डिजिटल इंडिया को गति देने के लिए ‘डिजिटल लेन‑देन’ को 30% तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने ई‑वॉलेट पर कर छूट और छोटे व्यापारी के लिए ई‑इनवॉइस को अनिवार्य करने की योजना बनायी। उनके अनुसार, वित्तीय समावेशीकरण के बिना सतत विकास संभव नहीं।

वर्तमान में भारत को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनमें सतत राजकोषीय घाटा और सार्वजनिक देनदारी की वृद्धि प्रमुख हैं। सिद्धरमन लगातार कहती हैं कि ‘फीसदी में वृद्धि नहीं, बल्कि नवाचार और दक्षता से घाटा कम किया जा सकता है’। इस विचारधारा के तहत उन्होंने ‘रणनीतिक आय‑स्रोत’ जैसे कि विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए हल्के नियामक ढांचे की बात की है। इसके साथ ही, ‘स्थिर मुद्रा नीति’ को बनाए रखने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ समन्वय बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है।

एक और महत्वपूर्ण पहल है ‘वित्तीय शिक्षा’ को सभी स्तरों पर普रोज़गार के साथ जोड़ना। सिद्धरमन का कहना है कि जब तक आम नागरिक खुद अपना बजट नहीं समझेंगे, तब तक सरकारी नीतियों का प्रभाव सीमित रहेगा। इसलिए उन्होंने स्कूल‑कॉलेज में आर्थिक साक्षरता मॉड्यूल को अनिवार्य करने की सलाह दी। इस पहल से भविष्य में नागरिकों को बेहतर निवेश निर्णय लेने और ऋण जोखिम घटाने में मदद मिलेगी।

सारांश में, Nirmala Sitharaman ने वित्तीय नीति, राष्ट्रीय बजट और आर्थिक विकास के बीच एक स्पष्ट कड़ी स्थापित की है। उनकी कार्यशैली डेटा‑चालित और परिणाम‑उन्मुख है, जिससे भारत की आर्थिक रूपरेखा में स्थिरता और गति दोनों मिलती हैं। आगे के लेखों में आप देखेंगे कि कैसे इन नीतियों ने विभिन्न क्षेत्रों पर असर डाला, और किस तरह आप इन बदलावों का लाभ अपने रोज़मर्रा के फैसलों में उठा सकते हैं। अब चलिए नीचे दी गई खबरों को देखते हैं, जहाँ इन पहलुओं की विस्तृत चर्चा मिली है।

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