सबी के एमडी पदों पर निजी क्षेत्र के उम्मीदवारों को पहली बार खुली पहुंच

सबी के एमडी पदों पर निजी क्षेत्र के उम्मीदवारों को पहली बार खुली पहुंच

जब भारत सरकार ने वित्त विभाग के तहत एक ऐतिहासिक नियम बदलते हुए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) के चार में से एक मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) पद को निजी क्षेत्र के प्रोफेशनल्स के लिये खोल दिया, तब देश के बैंकिंग परिदृश्य में हलचल मच गई। यह घोषणा कैबिनेट नियुक्ति समिति (ACC) की मंजूरी से 27 अप्रैल 2025 को, नई दिल्ली में हुई। नई नीति के तहत निजी और अन्य सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों के अनुभवी अधिकारियों को अब SBI या अन्य 11 राष्ट्रीयकृत बैंकों के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ED) पदों के लिये आवेदन करने का अवसर मिलेगा, जबकि पहले सभी ऊँचे पदों को केवल आंतरिक प्रोमोशन के जरिए भराया जाता था।

सही उम्मीदवार खोजने के लिये फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ इन्स्टिट्यूट्स ब्यूरो (FSIB) को चयन प्रक्रिया संभालना होगा, और निजी उम्मीदवारों की जाँच हेतु स्वतंत्र मानव संसाधन एजेंसियों को बुलाया जाएगा—जो पहले की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन (APAR) प्रणाली से एक बड़ा परिवर्तन है।

इतिहासिक पृष्ठभूमि और नीति की उत्पत्ति

सार्वजनिक‑सेक्टर बैंकों में शीर्ष पदों का दीर्घकालिक ढांचा 1955 के राष्ट्रीयकरण के बाद से लगभग स्थिर रहा था। तब से हर MD या चेयरमन को वसीयत‑पर‑वसीयत बँक के भीतर ही पदोन्नत किया जाता था। हालाँकि, नर्मला सिद्दार्थी सिथारमन, भारत की वित्त मन्त्री ने 2024 के मध्य कई साक्षात्कारों में कहा था कि "अधिकतम प्रतिस्पर्धा, बेहतर अभ्यास, और स्थायी वृद्धि के लिये सार्वजनिक बैंकों को निजी सेक्टर की प्रतिभा को भी अपनाना चाहिए"। यह बयान तभी गंभीरतापूर्वक उठाया गया जब वित्त विभाग (DFS) ने नियुक्ति दिशा‑निर्देशों में संशोधन किया।

नई भर्ती मानदंडों की विस्तृत जानकारी

ऊँचे पदों के लिये दो अलग-अलग ट्रैक स्थापित किए गए हैं:

  • मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) पद: कुल 21 वर्ष का पेशेवर अनुभव चाहिए, जिसमें कम से कम 15 वर्ष बैंकिंग में होना अनिवार्य है। निजी उम्मीदवारों को बोर्ड‑लेवल पर कम से कम दो वर्ष या उसके नीचे के सबसे ऊँचे स्तर पर तीन वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
  • एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ED) पद: न्यूनतम 18 वर्ष का समग्र अनुभव, जिसमें 12 वर्ष बैंकिंग में और तीन वर्ष बोर्ड‑लेवल से नीचे के सबसे ऊँचे पद पर होना चाहिए।

इन मानदंडों में सभी सार्वजनिक‑सेक्टर बैंकों के चेयरजनरल मैनेजर (CGM) और जनरल मैनेजर (GM) स्तर के करियर को 2027‑28 वित्तीय वर्ष तक शामिल किया गया है; उसके बाद टैब लेवल पर कम से कम दो वर्ष का अनुभव अनिवार्य होगा। विशेष रूप से, चीफ़ विविलेंस ऑफिसर (CVO) के पदधारकों को इस भर्ती‑चक्र से बाहर रखा गया है।

पार्टियों की प्रतिक्रिया और संभावित तनाव

इस कदम पर विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के विचार काफी भिन्न हैं। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉई एसोसिएशन (AIBEA) के जनरल सेक्रेटरी सी.एच. वेंकटाचलम ने बंधुता से कहा: "हमारे पास भी कई योग्य अधिकारियों हैं; बाहरी उम्मीदवारों को जगह देना अनावश्यक है।" दूसरी ओर, निजी‑सेक्टर के वरिष्ठ प्रबंधकों ने इस अवसर को "न्यायसंगत प्रतिस्पर्धा" कहा, जिससे वरिष्ठता के आधार पर नहीं बल्कि कौशल के आधार पर चयन हो सकेगा।

अर्थव्यवस्था और बैंकों पर संभावित असर

भारत की कुल बैंकिंग संपत्ति का लगभग 22 % अब निजी बैंकों के पास है। इस कारण सार्वजनिक बैंकों को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने हेतु नवाचार, डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन और ग्राहक‑संतुष्टि के नए मानक अपनाने पड़ेगा। निजी अनुभवी अधिकारियों का प्रवेश संभवतः निम्नलिखित लाभ देगा:

  1. व्यापार मॉडल में विश्वसनीय जोखिम‑प्रबंधन प्रैक्टिस का समावेश।
  2. डिजिटल लेन‑देन में तेज़ी और ग्राहक‑केन्द्रित सेवाओं का विस्तार।
  3. पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस (ESG) मानकों के प्रति संवेदनशीलता की बढ़ोतरी।

वहीं, संभावित चुनौतियां भी हैं: सार्वजनिक‑सेक्टर बैंकों की सामाजिक मिशन‑संचालित संस्कृति में बदलाव, और निजी‑सेक्टर की उच्च‑आक्रामक लक्ष्य‑पूर्णता का तालमेल बिठाना। सरकार ने कहा है कि चयन प्रक्रिया में "पारदर्शी, merit‑based मूल्यांकन" को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे दोनों पहलुओं को संतुलित किया जा सके।

आगे की राह और अपेक्षित विकास

पहला MD पद 2025‑26 वित्त वर्ष में खुलेगा और सभी योग्य उम्मीदवारों को आमंत्रित किया जाएगा। इसके बाद के रिक्तियों को फिर से आंतरिक प्रोफाइल के आधार पर भरा जाएगा। यही नियम 11 राष्ट्रीयकृत बैंकों के ED पदों पर भी लागू होगा, जहाँ हर बैंक में एक पद दोनों स्ट्रीमर के लिये खुलेगा।
जैसे-जैसे चयन प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ इन्स्टिट्यूट्स ब्यूरो (FSIB) नियमित रिपोर्ट जारी करेगा, और मीडिया को चयन‑लॉजिस्टिक्स के बारे में अपडेट देगा।

समुदाय और विशेषज्ञों की नजर में प्रमुख बिंदु

बैंकिंग विशेषज्ञ, जैसे डॉ. अजय पल्लव, ने टिप्पणी की: "सार्वजनिक‑सेक्टर बैंकों में प्राइवेट सेक्टर की प्रतिभा लाना आवश्यक है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब चयन की मानदंडें स्पष्ट, निष्पक्ष और उद्योग‑विशिष्ट हों।" वे आगे जोड़ते हैं कि यह कदम बैंकों के कॉर्पोरेट‑गवर्नेंस में सुधार लाएगा, जिससे निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

निजी सेक्टर के उम्मीदवारों को SBI के मैनेजिंग डायरेक्टर पद के लिये कौन‑सी योग्यता चाहिए?

उम्मीदवार को कुल 21 वर्ष का प्रॉफेशनल अनुभव, जिसमें 15 वर्ष बैंकिंग में होना अनिवार्य है, और बोर्ड‑लेवल स्तर पर कम से कम दो वर्ष या उसके नीचे के सबसे ऊँचे पद पर तीन वर्ष का अनुभव चाहिए।

इस नीति परिवर्तन से सार्वजनिक बैंकों में कौन से परिवर्तन की उम्मीद है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि नई भर्ती प्रक्रिया से बैंकों में जोखिम‑प्रबंधन, डिजिटल इनोवेशन और ग्राहक‑संतुष्टि के मानकों में सुधार होगा, साथ ही नेतृत्व में पारदर्शिता और मेरिट‑बेस्ड चयन की संस्कृति स्थापित होगी।

ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉयी एसोसिएशन ने इस कदम के खिलाफ क्यों आवाज़ उठाई?

AIBEA के जनरल सेक्रेटरी सी.एच. वेंकटाचलम ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों के पास पहले से ही योग्य अधिकारी उपलब्ध हैं और बाहरी उम्मीदवारों को शामिल करने से कर्मचारियों के मनोबल में खटास आ सकती है।

भविष्य में सार्वजनिक बैंकों में और कौन‑से पद खुलेगा?

पहले MD पद के बाद, अगले रिक्तियों को आंतरिक ज्यूरी के जरिए भरा जाएगा, लेकिन प्रत्येक राष्ट्रीयकृत बैंक में एक एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पद दोनों – निजी और सार्वजनिक – उम्मीदवारों के लिये खुला रहेगा।

नर्मला सिथारमन की इस नीति में भूमिका कितनी महत्वपूर्ण थी?

वित्त मंत्री नर्मला सिथारमन ने सार्वजनिक बैंकों में निजी प्रतिभा को शामिल करने की दिशा में प्रमुख नीतिगत संकेत दिए। उनका मानना था कि यह कदम बैंकों की प्रतिस्पर्धात्मकता और ग्राहक‑सेवा को नई उँचाइयों पर ले जाएगा।

1 टिप्पणि

  • सार्वजनिक बैंकों में निजी उम्मीदवारों को MD पद मिलना बेतुका है।

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