फतुल्लाह गुलेन एक तुर्की इस्लामी धर्मगुरु और शिक्षाविद हैं जो लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय खबरों में बने रहे हैं। वे हिज़्मेत (सेवा) नाम से जुड़े नेटवर्क के संस्थापक कहलाते हैं, जिनके नाम पर दुनिया भर में स्कूल, शिक्षा केंद्र और सामाजिक संस्थाएँ चलती हैं। 2016 के बाद उनका नाम खासतौर पर इसलिए उभरा क्योंकि तुर्की सरकार ने उन पर तख्तापलट की साजिश का आरोप लगाया। गुलेन खुद इन आरोपों को मना करते हैं और फिलहाल वे अमेरिका के पेंसिलवेनिया में रहते हैं।
गुलेन का जन्म 1941 में हुआ। उन्होंने धर्म और आधुनिक शिक्षा को साथ जोड़ने वाले विचारों को बढ़ावा दिया। उनका हिज़्मेत आंदोलन शिक्षा, संवाद और सामुदायिक सेवा पर जोर देता है। शुरुआती सालों में गुलेन और तुर्की की सत्ताधारी पार्टी के बीच सहयोग भी देखा गया, लेकिन वक्त के साथ उनकी नज़रों में दरार आ गई और दोनों के बीच टकराव बढ़ा।
हिज़्मेत के समर्थक दुनिया के कई देशों में स्कूल और गैर-लाभकारी संस्थाएँ चलाते हैं। ये संस्थाएँ अक्सर स्थानीय शिक्षा व समाजसेवा में सक्रिय रहती हैं। पर इसी नेटवर्क को तुर्की सरकार ने 'FETO' यानी 'फेथुल्ला गुलेन टेररिस्ट ऑर्गनाइज़ेशन' कहकर प्रतिबंधित कर दिया है और गुलेन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
2016 में तुर्की में हुई असफल सैन्य तख्तापलट की कोशिश के बाद मामला तेज़ी से राजनीतिक बन गया। तुर्की सरकार ने गुलेन और उनके अनुयायियों पर तख्तापलट के लिए साजिश रचने, सरकारी संस्थाओं में छद्म नेटवर्क चलाने और आतंकवाद का आरोप लगाया। हजारों लोगों को नौकरी से निकाला गया और कई पर मुकदमें चले। गुलेन ने आरोपों को बार-बार खारिज किया है और कहा है कि वे किसी हिंसा या तख्तापलट का समर्थन नहीं करते।
अमेरिका में गुलेन का ठिकाना और तुर्की की प्रत्यर्पण मांगें एक बड़ा दूतावासीय मुद्दा बन गईं। कई देशों ने गुलेन से जुड़ी संस्थाओं की जांच की और कुछ मामलों में तुर्की के साथ सहयोग भी हुआ, तो कुछ देशों में अभी भी कानूनी जाँचें जारी हैं।
अगर आप इस विषय पर ताज़ा और भरोसेमंद जानकारी खोजना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें: आधिकारिक सरकारी बयानों के साथ तथ्य जाँच करने वाले अंतरराष्ट्रीय समाचार स्रोत पढ़ें, अलग-अलग पक्षों की रिपोर्ट्स देखें और न्यायिक दस्तावेज़ या अदालत की घोषणाओं को प्राथमिकता दें।
अक्सर लोग ये सवाल पूछते हैं: "गुलेन का वास्तव में कितना प्रभाव है?" और "क्या वे दोषी या निर्दोष हैं?" इन सवालों के उत्तर कानूनी प्रक्रियाओं, तथ्यों और स्वतंत्र जांचों पर निर्भर करते हैं। इसलिए हर खबर को संदर्भ में पढ़ना जरूरी है।
यदि आप रोज़ाना अपडेट चाहते हैं तो प्रमुख समाचार साइटों, अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट पर नजर रखें। खबरों में शब्दों जैसे "FETO", "हिज़्मेत", "प्रत्यर्पण" और "तुर्की कोर्ट" आएं तो समझें कि यह सीधे इस मामले से जुड़ा हुआ है।
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फतुल्लाह गुलेन: उस विवादास्पद धार्मिक गुरु की निधन की खबर जिसने तुर्की में दुनिया को हिला दिया
विवादास्पद धार्मिक गुरु फतुल्लाह गुलेन, जिन्होंने अमेरिका में रहकर तुर्की सरकार के तथाकथित तख्तापलट की योजनाओं का आरोप सहा था, का निधन 83 वर्ष की उम्र में हुआ। उनके निधन से तुर्की के नेताओं और गुलेन आंदोलन के प्रभाव पर चर्चा फिर से गरमा सकती है। हिज़्मत नामक यह आंदोलन पश्चिमी-शैली की शिक्षा और बाजारों के प्रसार में विश्वास रखता था।