अक्षय कुमार की 'सरफिरा' ने बॉक्स ऑफिस पर दर्ज की 15 वर्षों में सबसे कम ओपनिंग, पहले दिन कमाए 2.40 करोड़ रुपये

अक्षय कुमार की 'सरफिरा' ने बॉक्स ऑफिस पर दर्ज की 15 वर्षों में सबसे कम ओपनिंग, पहले दिन कमाए 2.40 करोड़ रुपये

अक्षय कुमार की 'सरफिरा' का बॉक्स ऑफिस पर धक्का

बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार के नाम से मशहूर अभिनेता अक्षय कुमार की नई फिल्म 'सरफिरा' ने बॉक्स ऑफिस पर अपने पहले ही दिन निराशाजनक शुरुआत की है। फिल्म मात्र 2.40 करोड़ रुपये ही कमा सकी, जो अक्षय के पिछले 15 वर्षों की सबसे कम ओपनिंग है। 'सरफिरा' 2020 की तमिल फिल्म 'सूरराई पोटरु' की हिंदी रीमेक है और इसे सुधा कोंगरा ने निर्देशित किया है।

फिल्म की कहानी

'सरफिरा' फिल्म कैप्टन गोपीनाथ की कहानी को दर्शाती है, जो भारत की पहली बजट एयरलाइन के संस्थापक हैं। फिल्म में अक्षय कुमार के अलावा राधिका मदान, परेश रावल और सीमा बिस्वास भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।

फिल्म की कहानी में संघर्ष, संघर्ष और संघर्ष है। यह दर्शाती है कि कैसे एक इंसान बड़ी सपनों को हकीकत में बदल सकता है। लेकिन फिल्म की शुरुआत ही धूमिल रही, और पहले ही दिन इसके प्रदर्शन ने फिल्म निर्माताओं और दर्शकों दोनों को ही आश्चर्यचकित कर दिया।

निराशाजनक ओपनिंग

'सरफिरा' की बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन की कमाई केवल 2.40 करोड़ रुपये रही, जो अक्षय की पिछले 15 वर्षों की सबसे कम ओपनिंग है। इससे पहले उनकी फिल्म 'बड़े मियां छोटे मियां' ने 16.07 करोड़ रुपये की ओपनिंग की थी। फिल्म की पहले दिन की ओक्यूपेंसी मात्र 13.08% रही, जिसमें मुंबई में 14% और दिल्ली और एनसीआर में 11.75% थी।

इस आंकड़े ने न केवल उद्योग के विशेषज्ञों को बल्कि अक्षय के प्रशंसकों को भी झटका दिया है, जो उनकी फिल्मों से हमेशा ज्यादा उम्मीदें रखते हैं।

अक्षय कुमार की प्रतिक्रिया

फिल्म की असफलता पर अक्षय कुमार ने उद्यमशील और प्रेरक बातें कहीं। उन्होंने अपने वर्तमान करियर के चुनौतियों को स्वीकार किया और कहा कि वे अमिताभ बच्चन के एक सलाह को हमेशा ध्यान में रखते हैं - 'काम करते रहो और कोई प्रोजेक्ट मना मत करो'। अक्षय ने ईमानदारी, रचनात्मकता और अपने नसीब पर भरोसा बनाए रखने की महत्वता पर भी जोर दिया।

फिल्म की असफलता और इससे उत्पन्न चुनौतियों ने अक्षय को अपना आत्मविश्लेषण और भविष्य के प्रोजेक्ट्स में और भी अधिक मेहनत के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि सिनेमा में सफलता और असफलता का एक चक्र है, और वे इस चक्र को स्वीकारते हैं।

आने वाले प्रोजेक्ट्स

हालांकि 'सरफिरा' की असफलता ने निराशाजनक स्थिति उत्पन्न की है, लेकिन अक्षय कुमार के भविष्य के प्रोजेक्ट्स पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने घोषणा की है कि उनके पास कई रोमांचक प्रोजेक्ट्स हैं, जिन्हें वे जल्द ही दर्शकों के सामने प्रस्तुत करेंगे।

अक्षय कुमार एक बहुमुखी अभिनेता हैं जिन्होंने कॉमेडी, एक्शन, ड्रामा, और रोमांस जैसी विभिन्न शैलियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उनके आगामी प्रोजेक्ट्स में विभिन्न शैलियों की फिल्में शामिल हैं, जिनसे उन्होंने अपने प्रशंसकों की उम्मीदों को कायम रखा है।

बॉलीवुड की बदलती तस्वीर

बॉलीवुड में बदलते दौर और दर्शकों के दृष्टिकोण में हो रहे परिवर्तनों ने भी फिल्म 'सरफिरा' की असफलता में योगदान दिया हो सकता है। दर्शक अब नई और ताजगी से भरी कॉंटेंट की तलाश में हैं, जिसमें यहां तक कि बड़े सितारों की फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पा रही हैं।

फिल्म उद्योग में यह एक संकट हो सकता है, लेकिन इसे एक प्रदर्शनकारी उद्यम के रूप में भी देखा जा सकता है, जहां नए और रोमांचक कांसेप्ट के लिए हमेशा एक जगह होती है।

सारांश

अक्षय कुमार की 'सरफिरा' की बॉक्स ऑफिस पर असफल शुरुआत के बावजूद, यह एक सबक भी है कि सिनेमा की दुनिया में सफलता और असफलता के बीच का अंतर बहुत पतला होता है। इसने यह भी दर्शाया है कि केवल बड़े नाम वाली फिल्म ही दर्शकों को सिनेमाघरों में खींचने में सफल नहीं हो सकती। आज का दर्शक नए प्रयोगों और अनोखी कहानियों की तरफ बढ़ रहा है।

आशा है कि अक्षय कुमार और उनकी टीम इस असफलता से सबक लेकर भविष्य में और भी बेहतर फिल्में लेकर आएंगे।

6 टिप्पणि

  • अरे भाई, सरफ़िरा का ओपनिंग कम देखके थोड़ा दुख हुआ, पर शायद रिलीज़ टाइमिंग में गलती थी। फिर बिए, बॉक्स ऑफिस पर बहुत कुछ चलता रहता है, इसलिए अगले प्रोजेक्ट में सुधार की उम्मीद है।

  • आपकी बात बिल्कुल सही है कि अक्षय जी की फिल्म ने इस बार अपेक्षित कमाई नहीं की, लेकिन हमें एक बड़े चित्र को देखना चाहिए। बॉक्स ऑफिस का प्रदर्शन कई कारकों से प्रभावित होता है, जैसे कि मार्केटिंग बजट, रिलीज़ डेट और दर्शकों की बख़्शीश। आजकल दर्शक नई कॉन्सेप्ट और मजबूती से लिखी स्क्रिप्ट चाहते हैं, सिर्फ स्टार पावर पर भरोसा नहीं करता। सरफ़िरा एक रीमेक होने के कारण कई लोगों ने इसे पहले ही देख लिया था, जिससे उत्साह घट गया। साथ ही, कोविड-19 के बाद के माहौल में सिनेमा में आने वालों की संख्या अभी भी पूरी तरह से नहीं बढ़ी है। फिल्म की प्रमोशन में थोड़ा कम बजट लगा हो सकता है, इसलिए जनसंपर्क कमज़ोर रहा होगा। अगर फिल्म की ट्रेलर और संगीत को अधिक हिट बनाया जाता, तो ओपनिंग कलेक्शन बढ़ता। अभी के दौर में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर वर्ल्ड प्रीमियर एपीज से टाइटल को प्रमोट करना फायदेमंद होता। अक्षय जी ने पहले भी कई सफल फ़िल्में दी हैं, इसलिए यह एक अस्थायी गिरावट हो सकती है। हमें यह समझना चाहिए कि एक फिल्म के बॉक्स ऑफिस वाले आँकड़े हमेशा ही कलाकार की कीमत को नहीं दर्शाते। आपने लिखा था कि बहुत सारे बड़े स्टार्स की फ़िल्में सफलता नहीं पा रही, यह दर्शकों की परिपक्वता को दर्शाता है। फ़िल्म इंडस्ट्री को चाहिए कि वह प्रयोगशीलता को बढ़ावा दे और नयी आवाज़ों को सिनेमा में लाए। इसके साथ ही, हमें फ़िल्म के कंटेंट की गुणवत्ता को भी देखना चाहिए, ना कि सिर्फ़ स्टार पॉवर को। सरफ़िरा के पैकेजिंग में अगर कुछ नया और रोचक जोड़ते तो शायद दर्शकों की आकर्षण बढ़ता। अगर अगले प्रोजेक्ट में अक्षय जी नई थीम्स और विविध किरदारों के साथ आते हैं, तो पब्लिक का भरोसा फिर से जीत सकते हैं। अंत में, इस टॉपिक पर खुले दिमाग से चर्चा करना जरूरी है, ताकि इंडस्ट्री के सभी लोग एक साथ सुधार कर सकें। आशा करता हूँ कि भविष्य में हमें बेहतर फ़िल्में देखने को मिलेंगी।

  • सरफ़िरा का प्रदर्शन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सिर्फ़ बड़े नामों पर भरोसा करना अब पुरानी बात हो गई है; सामग्री की कमी ही असफलता की मुख्य वजह है। साफ़ तौर पर कहूँ तो, अगर कहानी में गहराई और नयी दृष्टि नहीं है तो कोई भी स्टार बक्स़ ऑफिस नहीं बचा सकता।

  • LOL, कंटेंट की क्वालिटी को अपग्रेड करना ज़रूरी है 😅.

  • चलो, इस डिप्रेशन को छोड़के अगले प्रोजेक्ट में नई ऊर्जा लाते हैं! अक्षय जी की मेहनत और डेडिकेशन देख कर हमें भी प्रेरणा मिलती है 😊. भारतीय सिनेमा में विविधता लाना बहुत जरूरी है, और मैं पूरी उम्मीद रखती हूँ कि अगली फ़िल्म में दर्शकों को नया एंटरटेनमेंट मिलेगा.

  • सच कहूँ तो, हमेशा ऊँच बड़ाई और मोटीवेशन के पीछे ही नहीं बैठना चाहिए। एक एक्टर को अपनी फ़िल्म की क्वालिटी खुद से जांचनी चाहिए, नहीं तो दर्शकों को बोरिंग कंटेंट खिला कर झटका देगा। इस तरह की काम्या ने तुच्छ सिद्धांत को बढ़ावा देता है, जो समाज में नैतिकता को नुकसान पहुंचा सकता है।

एक टिप्पणी लिखें