जितेश शर्मा बने भारत के प्राथमिक विकेटकीपर, संजू सैमसन को कहा 'बड़े भाई'

जितेश शर्मा बने भारत के प्राथमिक विकेटकीपर, संजू सैमसन को कहा 'बड़े भाई'

10 दिसंबर, 2025 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के पहले टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में जितेश शर्मा ने भारतीय क्रिकेट टीम के प्राथमिक विकेटकीपर का दर्जा हासिल किया। 32 साल के इस रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के बल्लेबाज़ ने ऑस्ट्रेलिया के दौरे के तीसरे टी20आई के बाद से लगातार शानदार प्रदर्शन के बाद अपनी जगह बना ली। यह फैसला न सिर्फ उनके लिए एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारतीय टीम की विकेटकीपिंग रणनीति में एक बड़ा बदलाव है — जिसमें संजू सैमसन को उनके पुराने पद से हटा दिया गया।

"बड़े भाई" क्यों कहा जितेश ने संजू को?

मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जितेश शर्मा ने एक ऐसा बयान दिया जिसने सबको हैरान कर दिया। अपनी उम्र से बड़े होने के बावजूद, उन्होंने संजू सैमसन को अपना "बड़े भाई" कहा। ये सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक गहरा सम्मान है। जितेश ने स्पष्ट किया कि यह उम्र के आधार पर नहीं, बल्कि क्रिकेटिंग अनुभव और टीम में उनकी स्थिति के आधार पर है। "संजू एक बहुत बड़े खिलाड़ी हैं, उनकी उपस्थिति मुझे हर मैच में बेहतर खेलने के लिए प्रेरित करती है," उन्होंने कहा।

यह बात उनके व्यक्तित्व को दर्शाती है — एक ऐसा खिलाड़ी जो प्रतिस्पर्धा को दुश्मन नहीं, बल्कि अपनी बेहतरी का साधन मानता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि संजू सैमसन 2015 से भारतीय टीम के हिस्से रहे हैं, जबकि जितेश का अंतरराष्ट्रीय डेब्यू 2023 में हुआ था, तो यह समझना आसान है कि जितेश क्यों इस शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। संजू ने 70 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, जबकि जितेश के पास अभी तक केवल 18 मैच हैं। अनुभव का अंतर स्पष्ट है।

क्यों बदली रणनीति?

यह बदलाव बिना किसी झटके का नहीं आया। जब शुभमन गिल टॉप ऑर्डर में वापस आए, तो संजू को मिडिल ऑर्डर में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा — तीन मैचों में 27 रन, एक बार भी 30 के आंकड़े को छू नहीं पाए। वहीं, जितेश शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया के दौरे के दौरान फिनिशर के रूप में अपनी जगह बनाई। उनकी 30 गेंदों में 55 रन और नियमित विकेटकीपिंग की क्षमता ने टीम मैनेजमेंट को यकीन दिलाया कि वह टी20 के लिए बेहतर विकल्प हैं।

भारतीय टीम के लिए टी20 में फिनिशर का महत्व बहुत ज्यादा है। अंतिम पांच ओवरों में रन बनाने की क्षमता, दबाव में शांत रहने की क्षमता — ये सब जितेश की खासियत हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टी20आई में 19 गेंदों में 37 रन बनाकर मैच बदल दिया था। उस इनिंग के बाद से उनकी टीम में जगह अडिग हो गई।

संजू सैमसन का अहम योगदान

यह बात ध्यान रखने वाली है कि संजू सैमसन को बर्खास्त नहीं किया गया। उन्हें टीम में बरकरार रखा गया है, और उनका अनुभव अभी भी टीम के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। टीम के एक सीनियर कोच ने अनाम रूप से कहा, "संजू हमारे लिए एक रिसोर्स हैं — उनकी टीम वर्क और बल्लेबाजी का अनुभव नई पीढ़ी के लिए शिक्षा है।"

इसलिए यह बदलाव एक नए खिलाड़ी के उभार से ज्यादा, एक टीम के विकास की कहानी है। जितेश का उदय न सिर्फ उनकी क्षमता का प्रमाण है, बल्कि भारतीय क्रिकेट के निर्णय लेने के तरीके में बदलाव को भी दर्शाता है — अब उम्र नहीं, बल्कि प्रदर्शन फैसला करता है।

अगले कदम क्या होंगे?

दक्षिण अफ्रीका के दौरे के बाद, भारत की टीम अगले महीने वेस्टइंडीज का दौरा करेगी, जहां गर्मी और तेज़ पिचें विकेटकीपर के लिए चुनौती बनेंगी। जितेश शर्मा को अब अपने फिनिशर के रूप में अपनी भूमिका को और भी स्थिर करना होगा। उनकी टीम में लगातार रहने के लिए उन्हें बार-बार अच्छा प्रदर्शन करना होगा।

वहीं, संजू सैमसन के लिए यह एक नया चुनौतीपूर्ण समय है। उन्हें अपनी फॉर्म वापस पाने के लिए घरेलू क्रिकेट में ज्यादा समय बिताना होगा। क्या वे अगले विश्व कप के लिए एक बार फिर अपनी जगह बना पाएंगे? यह अभी एक बड़ा सवाल है।

अतीत की तुलना

इस तरह के बदलाव पहले भी हुए हैं। 2018 में ऋषभ पंत के उभार के बाद विराट कोहली ने विकेटकीपर के रूप में धोनी को बदल दिया था। लेकिन वहां धोनी ने स्वयं अपनी भूमिका बदल ली थी। यहां तो संजू सैमसन अभी भी सक्रिय हैं — बस अब वह एक सहयोगी बन गए हैं, न कि प्रतिद्वंद्वी।

जितेश शर्मा का यह उदय एक नए युग की शुरुआत है — जहां अनुभव की गिनती नहीं, बल्कि अंतिम 10 ओवरों का नियंत्रण और दबाव में बल्लेबाजी निर्णायक है। उनकी आवाज़ में सम्मान है, उनके खेल में आत्मविश्वास। और शायद यही वह अलग पहलू है जो भारतीय क्रिकेट को अगले दशक में आगे बढ़ाएगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

जितेश शर्मा क्यों संजू सैमसन को 'बड़े भाई' कह रहे हैं, जबकि वे उम्र में बड़े हैं?

जितेश शर्मा ने यह शब्द उम्र के बजाय क्रिकेटिंग अनुभव के आधार पर प्रयोग किया है। संजू सैमसन 2015 से भारतीय टीम में हैं और 70+ अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं, जबकि जितेश का डेब्यू 2023 में हुआ। इसलिए जितेश इस शब्द के माध्यम से उनके अनुभव और टीम में उनकी स्थिति का सम्मान कर रहे हैं।

संजू सैमसन को टीम से हटाया गया क्या?

नहीं, संजू को हटाया नहीं गया। वे अभी भी टीम में हैं और विकल्प के रूप में उपलब्ध हैं। बदलाव केवल प्राथमिक विकेटकीपर के पद का है। उनकी टीम वर्क और बल्लेबाजी का अनुभव अभी भी महत्वपूर्ण है, खासकर अगर जितेश चोटिल हो जाएं।

जितेश शर्मा की टी20 में फिनिशर के रूप में क्या खास बात है?

जितेश की खासियत यह है कि वे दबाव में शांत रहते हैं और अंतिम 5-6 ओवरों में तेजी से रन बना सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर उन्होंने 19 गेंदों में 37 रन बनाकर दिखाया कि वे कैसे गेम बदल सकते हैं। यह भारत के लिए टी20 में एक बहुत बड़ी ताकत है।

अगले मैच में जितेश को क्या चुनौतियां मिलेंगी?

अगले महीने वेस्टइंडीज के दौरे पर गर्मी और तेज़ पिचें विकेटकीपर के लिए बड़ी चुनौती बनेंगी। उन्हें तेज़ गेंदबाज़ों के खिलाफ बल्लेबाजी और लो-बाउंस के लिए तैयार रहना होगा। उनकी विकेटकीपिंग की सटीकता भी निरीक्षण में रहेगी।

क्या यह बदलाव भारतीय क्रिकेट के लिए एक नया ट्रेंड है?

हां, यह एक नए ट्रेंड का संकेत है — अब टीम मैनेजमेंट उम्र या नाम के बजाय प्रदर्शन पर फोकस कर रहा है। पिछले दो वर्षों में जितेश, रिषभ पंत, और अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ियों का उदय इसी दिशा में है। अनुभव महत्वपूर्ण है, लेकिन अब फॉर्म सबसे बड़ा निर्णायक है।

क्या संजू सैमसन अगले विश्व कप के लिए वापस आ सकते हैं?

हां, अगर वे घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करते हैं और फिनिशर के रूप में अपनी भूमिका स्पष्ट कर देते हैं। उनकी बल्लेबाजी की शैली अभी भी टी20 में काम कर सकती है। अगर जितेश को चोट लग जाए या फॉर्म खो दें, तो संजू को फिर से मौका मिल सकता है।