अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई टली, कल फिर लौटना होगा जेल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 2018 के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर कथित हमले के मामले में फिर से जेल लौटना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी है, जिसके कारण उन्हें कल शाम तक सरेंडर करना होगा। यह अब सुनवाई 4 जून को होगी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 27 मई को केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी गई थी ताकि वह दिल्ली विधानसभा के चल रहे बजट सत्र में भाग ले सकें। हालांकि, यह जमानत सशर्त थी और इसका समापन कल शाम 6 बजे हो जाएगा। अदालत ने आज सुनवाई केवल इसलिए टाल दी क्योंकि एक न्यायाधीश ने अनुपस्थिति दर्ज की। इस पूरे मामले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
अरविंद केजरीवाल और 12 अन्य आप विधायकों पर आरोप है कि उन्होंने पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर मुख्यमंत्री निवास स्थान पर हमला किया था। यह मामला फरवरी 2018 का है। आरोप है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके सहयोगी विधायकों ने एक बैठक के दौरान अंशु प्रकाश को शारीरिक रूप से पीटा था। इस मामले में निचली अदालत ने सभी आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई। लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
अन्य आरोपियों की स्थिति और सुरक्षा इंतजाम
केजरीवाल के साथ जिन 12 विधायकों पर आरोप लगे हैं, उनकी भी यही स्थिति है। सभी को कल शाम तक जेल वापसी के आदेश मिले हैं। इस बीच, दिल्ली पुलिस ने जेल और कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। किसी भी अनहोनी की स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया गया है।
सियासी बवाल और बयानबाजी
इस मामले ने राजनीतिक पार्टियों के बीच बयानबाजी भी बढ़ा दी है। भाजपा ने केजरीवाल पर तीखे हमले किए हैं, जबकि आप पार्टी के समर्थकों और नेताओं ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। भाजपा का कहना है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। वहीं, आप समर्थकों का कहना है कि यह मामला विशेष रूप से उनके नेता को बदनाम करने के लिए बनाया गया है।
दिल्ली की राजनीति में केजरीवाल की अनुपस्थिति बड़ा असर डाल सकती है। वर्तमान में दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है और विपक्ष इसे एक अवसर के रूप में देख रहा है। आम आदमी पार्टी के विधायकों का कहना है कि वे एकजुट हैं और हर मुसीबत का सामना करने के लिए तैयार हैं।
न्याय प्रक्रिया और आगे का रास्ता
अब सभी की नजरें 4 जून को सुप्रीम कोर्ट की होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। क्या केजरीवाल को कोई राहत मिलती है या नहीं, यह देखना बाकी है। हालाँकि, अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी कोई निर्णय नहीं लिया तो केजरीवाल और उनके साथी विधायकों को लंबे वक्त तक जेल में रहना पड़ सकता है।
आम जनता और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच भी यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। कई लोग इसे राजनीतिक द्वंद्व के रूप में देख रहे हैं जबकि कुछ इसे न्याय की प्रक्रिया का हिस्सा मान रहे हैं।
कुल मिलाकर, यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है और किस तरह से यह मामले का असर दिल्ली की राजनीति और तनावग्रस्त माहौल पर पड़ता है।
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