अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल से रिहा: 'प्रिजन मेरी हिम्मत नहीं तोड़ सकते'

अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल से रिहा: 'प्रिजन मेरी हिम्मत नहीं तोड़ सकते'

अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल से रिहा

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल से 13 सितंबर, 2024 को रिहा किया गया। रिहाई के बाद केजरीवाल ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, 'उन्होंने मुझे जेल में डालकर मेरी हिम्मत तोड़ने की कोशिश की, लेकिन मेरी हिम्मत और बढ़ी है; जेल मुझे कमजोर नहीं कर सकती।' उनके इस बयान से साफ झलकता है कि जेल में बिताए गए दिनों ने उनके अंदर नया जोश और हिम्मत भर दी है।

AAP कार्यकर्ताओं का स्वागत

केजरीवाल की रिहाई पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने भी उनका स्वागत किया। तिहाड़ जेल के बाहर का माहौल किसी बड़े राजनीतिक रैली से कम नहीं था। लोगों ने बैनर, पोस्टर और पार्टी के झंडों के साथ केजरीवाल का स्वागत किया।

गिरफ्तारी और कानूनी प्रक्रिया

अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। यह मामला दिल्ली की 2021-22 की विद्या अधिनियम नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़ा था। इसके बाद 26 जून, 2024 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उन्हें ED हिरासत में रहते हुए गिरफ्तार किया था। जुलाई में केजरीवाल को ED मामले में जमानत मिल गई, लेकिन CBI मामले के चलते वे हिरासत में ही रहे।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर, 2024 को केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा कि उन्हें 10 लाख रुपये के जमानती बांड भरने होंगे और कुछ शर्तों का पालन करना होगा। अदालत ने विशेष रूप से यह कहा कि केजरीवाल को मुकदमे के दौरान किसी भी सार्वजनिक बयान देने से बचना होगा और उनकी अदालती सुनवाई में अनिवार्य रूप से उपस्थिति होनी चाहिए जब तक कि उन्हें विशेष रूप से छूट न दी जाए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्ज्वल भुयान की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

दिल्ली की विद्या अधिनियम नीति और AAP की चुनौतियाँ

दिल्ली की विद्या अधिनियम नीति, जो 2021-22 के लिए लागू की गई थी, उसे 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच के बाद रद्द कर दिया गया था। इस नीति के संदेहास्पद होने के कारण आम आदमी पार्टी को कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं पर भी इस मामले में जांच चल रही है।

केजरीवाल की रिहाई इस लंबे कानूनी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। उनकी रिहाई के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार हो गया है और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब AAP और अधिक मजबूती के साथ अपने विरोधियों का मुकाबला करने को तैयार है।

आगे की राह

हालांकि, इन सभी घटनाओं के बाद आम आदमी पार्टी और उसके नेता को अभी भी कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, केजरीवाल को अदालत की सुनवाई में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा और उन्हें इस विपत्ति के बीच अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालना होगा।

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस रिहाई के बाद केजरीवाल अपनी पार्टी और सरकार को किस प्रकार आगे बढ़ाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह संघर्ष न केवल पार्टी के भविष्य को दिशा देगा, बल्कि दिल्ली की राजनीति में भी एक अलग मोड़ लाएगा।

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