कोलकाता में नबन्ना मार्च: डॉक्टर की बलात्कार और हत्या पर जनता का गुस्सा
कोलकाता में 27 अगस्त को 'नबन्ना मार्च' का आयोजन किया गया। इसे पश्चिम बंगाल छात्र समाज द्वारा आयोजित किया गया था, जो हाल ही में गठित हुआ है। इस मार्च का मुख्य उद्देश 31 वर्षीय एक तैनात डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में न्याय की मांग करना था। इस घटना ने पूरे राज्य में आक्रोश फैला दिया है जो अब सरकार के खिलाफ हो गया है।
कड़ी सुरक्षा के बावजूद हिंसा
कोलकाता पुलिस ने इसे 'अवैध' घोषित करते हुए पांच से अधिक लोगों के एकत्रित होने पर पाबंदी लगा दी थी। लेकिन विरोध मार्च के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। इस झड़प को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने 6,000 से भी अधिक पुलिस कर्मियों की तैनाती की थी और 19 क्षेत्रों में बैरिकेडिंग की गई थी। परंतु यह तमाम सावधानियां विफल रहीं और विरोध ने हिंसा का रूप ले लिया।
राजनीतिक विवाद की स्थिति
इस मुद्दे पर भी राजनीतिक दलों के बीच विवाद शुरू हो गया है। भाजपा के नेताओं और विशेष रूप से भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस मार्च का समर्थन किया। दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भाजपा पर राजनीति करने और समस्या का फायदा उठाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, सीपीएम और कांग्रेस ने इस मार्च में शामिल न होने का निर्णय लिया, यह दावा करते हुए कि आयोजकों के बीच कुछ लोग आरएसएस से जुड़े थे।
सीबीआई की जांच
डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के मामले की जांच सीबीआई कर रही है। मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया है जिससे पता चल सके कि यह गैंगरेप था या फिर एक ही आदमी की करतूत। सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर संदीप घोष को भी एफआईआर में वित्तीय अनियमितताओं के लिए नामांकित किया है।
फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों की कमी
इस पूरे मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने टीएमसी सरकार की कड़ी आलोचना की है कि वह लंबित पीओसीएसओ एक्ट और बलात्कार मामलों के लिए पर्याप्त फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय स्थापित नहीं कर पाई है।
परीक्षा में छात्रों की परेशानियां
कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के कारण यूजीसी-नेट परीक्षा के उम्मीदवारों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा। पुलिस ने विशेष इंतजाम किए ताकि परीक्षार्थी अपने केंद्रों तक पहुंच सकें, लेकिन इसके बावजूद कई छात्रों को यातायात के जाम और रोड ब्लॉक के चलते कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
'नबन्ना मार्च' से यह स्पष्ट हो गया है कि बलात्कार और हत्या के इस मामले ने आम जनता में कितनी गहरी पीड़ा और गुस्सा भर दिया है। अब देखना यह होगा कि सीबीआई की जांच कब तक पूर्ण होती है और क्या सरकार जल्द ही इन मामलों के लिए एक फास्ट ट्रैक विशेष अदालत की स्थापना करती है।
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