मुंबई के एक बड़े इवेंट स्पेस में 24 मार्च, 2025 को दोपहर 2:36 बजे, सलमान खान ने अपनी आने वाली फिल्म सिकंदर के ट्रेलर लॉन्च पर एक ऐसी बात कह दी जो सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया। 59 साल के इस बॉलीवुड सुपरस्टार ने 28 साल की रश्मिका मंदन्ना के साथ 31 साल के उम्र के अंतर को लेकर आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा: "Phir woh bolte hain 31 years ka difference hai heroine aur mujh mein. Arey jab heroine ko problem nahi hai, heroine ke papa ko dikkat nahi hai, tumko kyun dikkat hai bhai?" यानी — अगर हीरोइन खुद शांत है, उसके पापा भी तनाव में नहीं हैं, तो तुम लोगों को क्यों चिंता है? इस बयान पर मंच पर रश्मिका हंस पड़ी, और उपस्थित दर्शकों ने तालियां बजाईं।
"मैं तो सोचूंगा 10 बार, फिर भी करूंगा"
सलमान ने अपने बयान को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वह हमेशा से नई अभिनेत्रियों के साथ काम करने का रुख रखा है — न सिर्फ उन्हें मौका देने के लिए, बल्कि उन्हें बड़ी फिल्मों तक पहुंचाने के लिए। "अब लोग रश्मिका मंदन्ना के नाम पर उम्र के अंतर की बात कर रहे हैं। लेकिन तुम लोग इन लड़कियों के लिए यह सब बातें करके उनका रास्ता खराब कर रहे हो।" जब एक पत्रकार ने उन्हें भविष्य में ऐसे काम करने के बारे में सोचने से मना किया, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया: "मैं 10 बार सोचूंगा, लेकिन फिर भी करूंगा।" और फिर नाम लेकर बताया — अनन्या पांडे और जान्हवी कपूर के साथ भी काम करने की उम्मीद।
टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी का आरोप: सोना मोहपात्रा की प्रतिक्रिया
लेकिन इस बयान का जवाब कुछ और ही आया। गायिका सोना मोहपात्रा ने X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में सलमान को "टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी के भाई" कहा और लिखा: "हीरोइन और हीरोइन के 'BAAP' को कोई परेशानी नहीं है... टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी, पुरुष प्राधिकरण का भाई ये नहीं समझता कि #India बदल गया?" इस टिप्पणी ने देश भर में एक बड़ी बहस शुरू कर दी। कई युवा महिलाएं ने इसे एक आम नकारात्मक अनुभव के रूप में देखा — जहां एक बुजुर्ग अभिनेता के साथ युवा अभिनेत्री के साथ रिश्ते को निजी बनाने की कोशिश की जाती है, जबकि उसकी अभिनय क्षमता और प्रतिभा को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
सलमान का इतिहास: एक नमूना नहीं, एक पैटर्न
यह बात नई नहीं। 2009 की Wanted में सलमान (44) और आयशा तकिया (23) के बीच 21 साल का अंतर था। 2010 की Dabangg में सोनक्षी सिंह (23) के साथ यह अंतर 22 साल था। दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता मिली, लेकिन उस समय इन उम्र के अंतर पर कोई बहस नहीं हुई। क्यों? शायद क्योंकि आज का समाज, खासकर युवा पीढ़ी, फिल्मों में रिश्तों को अधिक आलोचनात्मक दृष्टि से देखती है।
दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी यही बात दोहराई जा रही है। 50 के दशक में पहुंच चुके अभिनेता रवि तेजा के साथ युवा अभिनेत्रियों जैसे श्रीलीला और भाग्यश्री बोर्से के साथ काम करने पर भी आलोचनाएं आईं। यह एक व्यापक संस्कृतिगत विषय बन गया है — जहां एक अभिनेता की उम्र के आधार पर उसके काम की वैधता का निर्णय लिया जाता है।
सिकंदर: एक्शन फिल्म या ट्रेंड का प्रतीक?
सिकंदर एक एक्शन थ्रिलर है, जिसमें सलमान मुंबई में अपराध के खिलाफ लड़ते हुए एक बड़े नायक की भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म के अन्य कलाकारों में कजल अग्रवाल, सत्यराज और शर्मन जोशी शामिल हैं। निर्देशक एआर मुरुगदोस — जिन्होंने घजिनी में आमिर खान के साथ काम किया — अब शाहरुख खान के साथ भी काम करने की इच्छा रखते हैं, जिससे उनका "खान ट्रायलॉजी" पूरा हो सके।
लेकिन फिल्म की सफलता का फैसला उम्र के अंतर से नहीं, बल्कि दोनों अभिनेताओं के बीच के रिश्ते की वास्तविकता से होगा। ट्रेलर में उनकी केमिस्ट्री को कुछ समीक्षकों ने "बोरिंग" और "क्रिंचवरी" बताया है। यह एक बड़ी चुनौती है। अगर निर्देशक ने इन दोनों के बीच एक ऐसा रिश्ता बनाया जो दर्शकों को विश्वास दिलाए — न कि एक बुजुर्ग और युवा का अंतर — तो फिल्म अपने आप में एक क्रांति बन सकती है।
अगला फिल्म? और एक बड़ी चिंता
दिलचस्प बात यह है कि सलमान और रश्मिका ने एक और फिल्म पर भी हस्ताक्षर कर लिए हैं — जिसका निर्देशन आतले कुमार करेंगे, जिन्होंने जवान जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाई है। इसका मतलब है कि यह सिर्फ एक फिल्म का मामला नहीं, बल्कि एक लंबी साझेदारी की शुरुआत हो सकती है।
लेकिन इस बहस ने सलमान को एक बड़ी चिंता में डाल दिया है। उन्होंने कहा: "अब मुझे हर बार 10 बार सोचना पड़ेगा कि क्या मैं इन लड़कियों के साथ काम करूं?" यह बात बहुत गहरी है। क्या हम एक अभिनेता को उसकी नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए दोषी ठहरा रहे हैं, जो युवा अभिनेत्रियों को मौका देना चाहता है? या हम उन युवाओं को असली ताकत दे रहे हैं, जो अपने आप को एक व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि एक "अभिनेत्री" के रूप में देखना चाहते हैं?
रश्मिका का अभिनय और प्रतिबद्धता
सलमान ने रश्मिका के बारे में भी बहुत सराहना की। उन्होंने बताया कि वह पुष्पा 2 की शूटिंग के बीच में भी सिकंदर के लिए हर शूटिंग डेट पर मौजूद रही, बिना किसी देरी के। यह एक अभिनेत्री की पेशेवरता का नमूना है — जिसे उम्र के अंतर के बारे में बहस में खो दिया जा रहा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या सलमान खान के साथ युवा अभिनेत्रियों के साथ काम करना गलत है?
कोई भी नियम नहीं है कि एक अभिनेता केवल अपनी उम्र की अभिनेत्री के साथ ही काम कर सकता है। लेकिन समस्या यह है कि जब एक बुजुर्ग अभिनेता और युवा अभिनेत्री के बीच उम्र का अंतर बहुत ज्यादा होता है, तो यह रिश्ता अक्सर निजी और असंगठित तरीके से चर्चा में आ जाता है। इससे अभिनेत्री की प्रतिभा और काम की वैधता पर सवाल उठ जाते हैं, जो उचित नहीं है।
क्या रश्मिका मंदन्ना इस बहस के बारे में चुप हैं?
हां, रश्मिका ने अब तक सीधे टिप्पणी नहीं की है। लेकिन उनकी व्यवहार और प्रतिबद्धता बोल रही है — वह अपने काम पर फोकस कर रही हैं। उन्होंने एक बार बताया था कि "हीरोइन का नाम नहीं, फिल्म का नाम होना चाहिए।" यह एक अभिनेत्री की आत्मा है, जो अपने काम से अपनी पहचान बनाना चाहती है।
क्या यह बहस सिर्फ बॉलीवुड तक सीमित है?
नहीं। दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी इसी तरह की बहसें हो रही हैं — जैसे रवि तेजा के साथ श्रीलीला या चिरंजीवी के साथ रश्मिका के बारे में। यह एक भारतीय सिनेमा की सामान्य समस्या है, जहां निर्माता और दर्शक दोनों युवा अभिनेत्रियों को "क्रश" के रूप में देखते हैं, न कि एक कलाकार के रूप में।
क्या सलमान खान के बयान ने युवा अभिनेत्रियों के लिए खतरा पैदा किया है?
हां, बहुत ज्यादा। अगर एक बड़े अभिनेता अपने आप को युवा अभिनेत्रियों के साथ काम करने से डरने लगे, तो यह एक बड़ा नुकसान है। युवा अभिनेत्रियां उनसे सीखती हैं, उनके साथ काम करके अपनी पहचान बनाती हैं। अगर इस बहस के कारण ऐसे अवसर बंद हो जाएं, तो पूरी पीढ़ी को नुकसान होगा।
क्या फिल्म सिकंदर सफल होगी?
यह फिल्म की कहानी, निर्देशन और एक्शन सीनों पर निर्भर करेगी, न कि उम्र के अंतर पर। अगर एआर मुरुगदोस ने दोनों के बीच एक वास्तविक, अलग तरह का रिश्ता बनाया है — जैसे एक अनुभवी नायक और एक तेज युवा जिसे वह बचाने की कोशिश कर रहा है — तो दर्शक इसे अपना लेंगे। ट्रेलर अभी बहुत कम है।
क्या यह बहस भारतीय सिनेमा के लिए एक मोड़ है?
हां, बिल्कुल। यह पहली बार नहीं है जब उम्र के अंतर पर बहस हुई, लेकिन अब यह बहस एक नैतिक और सामाजिक विषय बन गई है। यह दर्शाता है कि भारतीय दर्शक अब सिर्फ एक्शन और रोमांस नहीं, बल्कि उन रिश्तों को भी आलोचनात्मक दृष्टि से देख रहे हैं जो फिल्मों में दिखाए जाते हैं।