एकादशी तिथि: सरल गाइड — क्या, क्यों और कैसे?
एकादशी तिथि हिन्दू पंचांग में हर पखवाड़े की 11वीं तिथि होती है। यह व्रत ज्यादा तर भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। अगर आपने कभी सोचा कि कब व क्यों एकादशी व्रत रखें, तो यह पेज आपको साफ और काम की जानकारी देगा।
एकादशी का अर्थ और महत्व
एकादशी का शाब्दिक अर्थ है ग्यारहवीं तिथि। पौराणिक मान्यताओं में कहा गया है कि यह मन, इन्द्रियाँ और लोभ नियंत्रित करने का अवसर देती है। बहुत से लोग इसे मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुधार के लिए रखते हैं। धार्मिक रूप से, इस दिन की साधना और दान का विशेष महत्व होता है।
विभिन्न एकादशियों का अलग धार्मिक महत्व होता है — जैसे निर्जला एकादशी बहुत कठोर मानी जाती है, जबकि वैकुण्ठ एकादशी को परम पुण्यदाई बताया जाता है। हर एकादशी की तिथि और नियम अलग होते हैं, इसलिए स्थानीय पंचांग देखना जरूरी है।
एकादशी व्रत के सामान्य नियम और तरीके
सबसे पहले: अपने स्थानीय पंचांग या ऐप से जांच लें कि एकादशी का तिथि कब से कब तक है। कई बार तिथि रात में बदलती है, इसलिए समय ध्यान में रखें। सामान्य तौर पर ये नियम लागू होते हैं:
- उपवास: अनाज और दालें छोड़ कर फल, दूध, डेयरी और फलाहार लिया जा सकता है।
- निर्जला: कुछ लोग पूरे दिन पानी तक नहीं पीते (निर्जला एकादशी)।
- पूजा: सुबह या शाम विष्णु की पूजा व भजन किया जाता है।
- ब्रह्म मुहूर्त या दवितीय दिन (द्वादशी) को व्रत तोड़ा जाता है — पर यह आपके पंचांग के अनुसार तय करें।
अगर तिथि सुबह में खत्म हो जाती है या द्वादशी तिथि पहले से चल रही हो, तो नियम थोड़े बदल सकते हैं। ऐसे में पंडित या स्थानीय पुरोहित से सलाह लें।
कौन व्रत रखें? साधारणतः भक्त, गृहस्थ और जो लोग नियमित रूप से ध्यान और संयम रखना चाहते हैं, वे रखते हैं। गर्भवती या बीमारी में लगे लोग डॉक्टर या परिवार के बुजुर्ग से सलाह के बाद ही व्रत रखें।
रोजमर्रा के व्यावहारिक टिप्स: एकादशी से पहले हल्का भोजन लें, रात में जल्दी सोएं, सुबह ध्यान करें और पानी का सेवन सीमित रखें (यदि निर्जला नहीं रखें)। व्रत तोड़ते समय भारी तला-भुना खाने से बचें — फल, खिचड़ी या दूध-आधारित मिठाई बेहतर रहती है।
एकादशी के त्योहारों और कहानियों के बारे में और पढ़ना हो तो अपने इलाके का पंचांग देखें या हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध संबंधित लेख खोजें। समय और नियम में भिन्नता होने के कारण हमेशा स्थानीय तिथि-समय की जांच कर लें।
आसान सवाल: अगली एकादशी कब है? इसके लिए मोबाइल के पंचांग ऐप या स्थानीय मंदिर से दैनिक तिथियाँ देखें। छोटी तैयारी और सही जानकारी से व्रत अधिक संतोषजनक और सुरक्षित बनता है।
देवशयनी एकादशी पूजा मुहूर्त 2024: एकादशी पर पूजन का सर्वोत्तम समय
- 在 : Karthik Rajkumar Kannan
- दिनांक : जुल॰ 16 2024
देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने की योगिक नींद में चले जाते हैं और ब्रह्मांड का प्रबंधन भगवान शिव संभालते हैं। 2024 में एकादशी तिथि 16 जुलाई को रात 8:33 बजे से शुरू होकर 17 जुलाई को रात 9:02 बजे समाप्त होगी। पूजा का सबसे अच्छा समय सुबह 5:33 बजे से 7:17 बजे तक है।