क्या आप जानते हैं कि मातृभाषा दिवस हर साल 21 फ़रवरी को मनाया जाता है? यह दिन 1952 के ढाका मार्टyrs को याद करता है जिन्होंने अपनी मातृभाषा बंगला के लिए आवाज उठाई। UNESCO ने 1999 में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी। पर यह सिर्फ इतिहास याद करने का दिन नहीं है—यह हमारी भाषाई पहचान बचाने और अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का अभ्यास भी है।
अगर आप स्कूल, समुदाय या घर पर इसे मनाना चाहते हैं, तो ऐसे मौके चुनें जिसमें भाषा बोलने, सुनने और साझा करने पर जोर हो। छोटे-छोटे कदम बड़े असर डालते हैं: लोककथाएँ सुनाना, स्थानीय बोलियाँ रिकॉर्ड करना, या बच्चों से अपने दादा-दादी की भाषा में एक लाइन लिखवाना।
नीचे कुछ सिम्पल और प्रभावी आइडिया हैं जिन्हें आप किसी भी उम्र के साथ लागू कर सकते हैं:
अगर आप ऑनलाइन हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं तो छोटे, भावनात्मक और स्पष्ट संदेश बेहतर चलते हैं। कुछ तैयार कैप्शन विचार:
वीडियो और ऑडियो क्लिप अच्छा असर करते हैं। 30–60 सेकंड के क्लिप में किसी लोकगीत, शब्द-संग्रह या परिवार की शॉर्ट स्टोरी डालें। टैग में स्थानीय समुदाय और शैक्षिक संस्थान जोड़ें ताकि पहुंच बढ़े।
भाषा संरक्षित करने के व्यावहारिक कदम रोज़मर्रा में होते हैं: घर पर बच्चों से रोज़ाना कम से कम 10 मिनट मातृभाषा में बात करें, पारिवारिक नाम-कथाएँ लिखें, और स्कूलों में स्थानीय भाषाओं को पाठ्यक्रम या क्लब के रूप में रखें। छोटे रिकॉर्डिंग प्रोजेक्ट जैसे "मेरा पहला शब्द" या "नानी की नुस्खी" लंबे समय में बड़ा संसाधन बन सकते हैं।
मातृभाषा दिवस पर अनिवार्य नहीं कि बड़ी बैनर या बड़े आयोजन हों। असली काम रोज़मर्रा की प्रैक्टिस, आवाज़ देना और साझा करना है। क्या आप इस साल किसी को अपनी मातृभाषा सिखाने का वादा कर सकते हैं? छोटे वादे भी बड़ा फर्क लाते हैं।
अगर आप चाहते हैं, हमारी साइट पर इस टॉपिक से जुड़ी खबरें, स्कूल-इवेंट गाइड और सोशल पोस्ट टेम्पलेट मिलेंगे। बस 21 फ़रवरी को याद रखें और अपनी भाषा की एक छोटी सी आवाज जरूर दें।
NEHU में मातृभाषा दिवस पर गारो साहित्य का हुआ भव्य प्रदर्शन
NEHU के तुरा कैंपस में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर गारो साहित्य की भव्य प्रदर्शनियों के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कविता संग्रह परिचय और भविष्य में भाषा दस्तावेजीकरण कार्यशालाओं की घोषणा की गई। डिजिटल गारो साहित्य को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की गई।