तमिल फिल्मकार विक्रम सुगुमरन का हार्ट अटैक से निधन, सिनेमाजगत में शोक की लहर

तमिल फिल्मकार विक्रम सुगुमरन का हार्ट अटैक से निधन, सिनेमाजगत में शोक की लहर

तमिल सिनेमा ने गंवाया असली किस्सागो

तमिल फिल्म इंडस्ट्री को हमेशा अपनी देसी कहानियों और सामाजिक सच दिखानेवाले निर्देशकों पर गर्व रहा है, लेकिन 2 जून 2025 की सुबह तमिल सिनेमा के लिए एक बड़ा झटका लेकर आई। 47 साल के लोकप्रिय निर्देशक विक्रम सुगुमरन का अचानक कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। वह मदुरै से चेन्नई जा रहे थे—बस यात्रा दौरान ही उनकी तबीयत बिगड़ी। तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा न सके।

विक्रम सुगुमरन उस विरासत से आते हैं, जिसमें सहज ग्रामीण कथाएं और सच्ची संवेदनाएं prominently दिखती रहीं हैं। उनकी सिनेमाई शुरुआत कालजयी निर्देशक बालू महेंद्र के सहायक के रूप में हुई थी। 1999-2000 के दौरान ही सीखना-समझना शुरू किया और फिर 2013 में 'मध यानई कूटम' के साथ तमिल सिनेमा के मंच पर खुद को स्थायी रूप से स्थापित किया।

अनछुए सच और इंडस्ट्री में ईमानदारी

'मध यानई कूटम' की असली खूबसूरती उसकी तीखी सामाजिक टिप्पणियों में थी—यही रंग विक्रम की स्टोरीटेलिंग में हर जगह झलकते थे। हाल ही में उन्होंने 'रावण कोट्टम' बनाई, जिसमें लीड रोल शांति भग्याराज ने निभाया। इस फिल्म ने दिखा दिया कि विक्रम की नजर आज के गांव और समाज की दुविधाओं पर कितनी पैनी थी। अपने आखिरी दिनों में वह 'थेइरम पोरम' नामक फिल्म पर भी काम कर रहे थे।

उनकी अचानक मौत से पूरी इंडस्ट्री सकते में है। एक्ट्रेस विजी चंद्रशेखर, जिन्होंने 'मध यानई कूटम' में अहम भूमिका निभाई थी, ने सोशल मीडिया पोस्ट में गहरा दुख जताया और कहा कि इंडस्ट्री को काम के दबाव को लेकर और संवेदनशील होना चाहिए। शांति भग्याराज ने उन्हें न सिर्फ निर्देशक, बल्कि दोस्तों और भाइयों जैसा साथी बताया।

बीते कुछ समय से विक्रम निजी परेशानियों से भी जूझ रहे थे। कुछ इंटरव्यू में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने साथ हुए धोखों का जिक्र किया—हालांकि उन्होंने नाम न लेकर जमीरदारी की मिसाल पेश की, क्योंकि उनके पास सीधा सबूत नहीं था। इसका असर उनके संकल्प पर कभी नहीं दिखा—कहानी कहने का जुनून बरकरार रहा।

  • विक्रम अपने गांव के जीवन और समाज के संघर्षों को सच्चाई से पर्दे पर लाते रहे।
  • उनकी फिल्में युवा निर्देशकों के लिए प्रेरणा बनीं और दर्शकों ने भी खुले दिल से सराहा।
  • संपूर्ण तमिल फिल्म बिरादरी में उनके जाने से एक खालीपन महसूस किया जा रहा है।

फिल्मकार, कलाकार और तकनीशियन—सब उनकी ईमानदारी और कहानी के प्रति पैशन को याद कर रहे हैं। उनकी असामयिक मौत ने यह भी उजागर किया है कि फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ समाज को भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर सजग रहना चाहिए। इस शून्य को भर पाना असंभव होगा, लेकिन उनकी फिल्में और उनके विचार आगे भी नई पीढ़ी को राह दिखाते रहेंगे।

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