देवशयनी एकादशी — कब आती है, क्यों और कैसे रखें?
क्या आप देवशयनी एकादशी के बारे में सरल और सीधे तरीके से जानना चाहते हैं? यह व्रत आमतौर पर आषाढ़ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को आता है (जून-जुलाई के बीच)। इसे शयन एकादशी भी कहते हैं क्योंकि पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु इस दिन से चातुर्मास के लिए शेष नाग पर विश्राम लेते हैं। इस दिन का पालन करने से धार्मिक लाभ और आत्मिक शान्ति मिलती है।
व्रत का मतलब और धार्मिक महत्व
देवशयनी एकादशी चातुर्मास की शुरुआत भी मानी जाती है। इसमें भक्त साधना, दान और नियमों का पालन कर आध्यात्मिक उन्नति की کوشش करते हैं। पुराणों में कहा गया है कि इस एकादशी का व्रत रखने से पাপ मिटते हैं और जीवन में शत्रु कम होते हैं। यह समय गुरु-शिष्य, गृहस्थों के लिए नियमित ध्यान, पूजा और संयम का होता है।
सरल व्रत-विधि और रोजमर्रा के टिप्स
अगर पहली बार रख रहे हैं तो यह आसान तरीका अपनाएँ: सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें। घर पर छोटे से मंडप में चित्र या मुर्ति के सामने दीप और धूप जलाएँ। व्रत के दौरान भगवद्गीता या विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर सकते हैं, या 108 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें।
पूजा के बाद प्रभातकाल में दान करें — अनाज, कपड़े या रोशनी (दीप) दान से व्रत का फल बढ़ता है। यदि आप पूर्ण उपवास नहीं रख सकते तो फलाहार रखें: दूध, फल, साबूदाना, सत्तू या सिंघाड़े का आटा से बने पकवान व्रत के अनुकूल हैं।
स्वास्थ्य कारणों से गर्भवती, स्तनपान कराने वाली महिलाएँ और बीमार लोग आंशिक व्रत रख सकते हैं या प्रसन्नता से दान कर सकते हैं। कोई दुविधा हो तो अपने पारिवारिक पंडित या चिकित्सक की सलाह लें।
व्रत के नियमों में सामान्य रूप से नॉन-वेज, शराब और तीखा-मसालेदार खाना न खाएँ। कई परिवारों में प्याज-लहसुन भी प्रतिबंधित होते हैं। दिनभर में सचेत रहें, हिंसा और झगड़े से बचें, और ध्यान-मनन पर ध्यान दें।
व्रत खोलने का समय और आसान भोजन: व्रत शाम के बाद, अगले दिन द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर या दान देकर खोला जाता है। व्रत खोलने के लिए हल्का और सुपाच्य खाना लें — दूध, खीर, फल, साबूदाना खिचड़ी या सिंघाड़े की पूरी/पकौड़ी। भारी तला-भुना भोजन तुरंत न करें ताकि पाचन पर असर न पड़े।
अंत में एक सरल सलाह: व्रत का उद्देश्य केवल नियम पालन नहीं, बल्कि मन की शुद्धता और आत्म-नियंत्रण है। थोड़ी सी तैयारी, साफ नियत और सहृदयता से आप देवशयनी एकादशी का पूरा लाभ ले सकते हैं। यदि आप चाहें, तो अपनी पूजा-फोटोज़ और अनुभव शेयर कर सकते हैं — इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी।
देवशयनी एकादशी पूजा मुहूर्त 2024: एकादशी पर पूजन का सर्वोत्तम समय
- 在 : Karthik Rajkumar Kannan
- दिनांक : जुल॰ 16 2024
देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने की योगिक नींद में चले जाते हैं और ब्रह्मांड का प्रबंधन भगवान शिव संभालते हैं। 2024 में एकादशी तिथि 16 जुलाई को रात 8:33 बजे से शुरू होकर 17 जुलाई को रात 9:02 बजे समाप्त होगी। पूजा का सबसे अच्छा समय सुबह 5:33 बजे से 7:17 बजे तक है।