ट्रम्प ने 100% फार्मास्यूटिकल टैरिफ की घोषणा, शेयर बाजार में मिली मिली प्रतिक्रिया

ट्रम्प ने 100% फार्मास्यूटिकल टैरिफ की घोषणा, शेयर बाजार में मिली मिली प्रतिक्रिया

नया टैरिफ क्या है और किन कंपनियों को छूट मिल सकती है?

25 सितंबर, 2025 को राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि 1 अक्टूबर से सभी ब्रांडेड या पैटेंटेड दवाओं पर फार्मास्यूटिकल टैरिफ 100% हो जाएगी, जब तक कि दवा निर्माता अपनी उत्पादन सुविधा अमेरिकी धरती पर स्थापित न कर ले। इस कदम का उद्देश्य घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना और आयातित महँगी दवाओं पर नियंत्रण रखना बताया गया। हालाँकि, इस घोषणा के साथ कई सवाल भी उठे – टैरिफ किन परिस्थितियों में लागू होगा, और क्या मौजूदा यूएस प्लांट्स को भी इस नियम से मुक्त माना जायेगा?

अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ कि टैरिफ को कब और कैसे लागू किया जाएगा, पर विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियों के पास आधे से एक साल तक की विस्तृत इन्वेंट्री बचत हो सकती है, जिससे तुरंत कोई बड़े झटके की आशंका नहीं है।

बाजार और दवा कंपनियों की तत्काल प्रतिक्रिया

बाजार और दवा कंपनियों की तत्काल प्रतिक्रिया

ट्रम्प की घोषणा के बाद सट्टा बाजार में हल्की ही हरकत देखी गई। 26 सितंबर को दोपहर के ट्रेडिंग में मर्क, एली लिली और जॉन्सन एंड जॉनसन के शेयर लगभग < 1% तक बढ़े, जबकि व्यापक S&P 500 इंडेक्स की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया। बड़े दवा समूहों ने स्थिरता बनी रखी, क्योंकि उनके पास यूएस में पहले से ही उत्पादन सुविधाएँ मौजूद हैं या वे विस्तार की दिशा में सक्रिय हैं।

  • एली लिली और नोवो नॉर्डिस्क के मोटे‑मोटे मोटापे की दवाएँ, जो यूएस और यूरोप में बनती हैं, 15% टैरिफ सीमा के भीतर रहेंगे और इस नई नीति से ज्यादा प्रभावित नहीं होंगी।
  • नवर्टिस और जीएसके, जिनकी सप्लाई चेन ब्रिटेन, स्विट्ज़रलैंड और सिंगापुर में है, ने क्रमशः $23 बिलियन और $30 बिलियन की अमेरिकी निवेश योजना जारी की है, जो उन्हें टैरिफ से बचाने में मदद कर सकती है।
  • दवाओं की इन्वेंट्री आम तौर पर छह से बारह माह तक की रखी जाती है, जिससे कंपनियों को नई नीतियों के अनुसार अपनी सप्लाई चेन को पुनः व्यवस्थित करने का समय मिलेगा।

इसके अलावा, अमेरिकी प्रशासन ने पहले यूरोपीय संघ और जापान से आयातित दवाओं पर 15% की टैरिफ सीमा तय की थी, जो अधिकांश ब्रांडेड दवाओं पर लागू होती है। यूके, सिंगापुर, कनाडा और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों से आयातित दवाओं पर अभी तक कोई स्पष्ट सीमा नहीं बताई गई है, जिससे बाजार में कुछ अनिश्चितता बनी हुई है।

विश्लेषकों का अनुमान है कि टैरिफ का वास्तविक असर तभी दिखेगा जब कंपनियाँ अपने उत्पादन को पूरी तरह अमेरिकी धरती पर ट्रांसफर करेंगी। तब औसत दवा की कीमत में संभावित बढ़ोतरी, ग्राहक खर्च और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों की लागत संरचना पर सवाल उठेंगे। भविष्य में टैरिफ की विस्तृत प्रक्रिया, जैसे कि छूट के मानदंड और जांच की प्रक्रिया, स्पष्ट होने पर ही निवेशकों को स्पष्ट दिशा‑निर्देश मिल पाएँगे।

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